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B N Rau ने लोकतांत्रिक भारत के संविधान की रखी नींव, हम क्यों सर बेनेगल नरसिंह राव को भूल गए?

jantaserishta.com
26 Jan 2022 2:33 AM GMT
B N Rau ने लोकतांत्रिक भारत के संविधान की रखी नींव, हम क्यों सर बेनेगल नरसिंह राव को भूल गए?
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Sir Benegal Narsing Rau: कर्नाटक के लॉ एक्‍सपर्ट और ब्‍यूरोक्रेट सर बेनेगल नरसिंह राव (B N Rau) ने भारतीय संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उन्होंने औपनिवेशिक शासन से एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में भारत के विकास को सुविधाजनक बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई. हालांकि, वह संविधान सभा के सदस्य नहीं थे, लेकिन उन्होंने संविधान की ड्राफ्टिंग के दौरान कई महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान किए.

26 फरवरी, 1887 को तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के मैंगलोर में बुद्धिजीवियों के परिवार में जन्मे राव ने हमेशा शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया. भारतीय सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद, उन्हें बंगाल में तैनात किया गया और वह जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में काम करने लगे. अपने करियर की शुरुआत में, उन्होंने संवैधानिक कानून के प्रति झुकाव दिखाया. आगे बढ़ते हुए, राव भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ प्रमुख संवैधानिक विकासों से जुड़े और इस क्षेत्र में सबसे अधिक मांग वाले पेशेवर बन गए.
1946 में, बी एन राव को औपचारिक रूप से डॉ बी आर अम्बेडकर की अध्यक्षता में सात विशेषज्ञों की कोर ड्राफ्टिंग कमेटी के संवैधानिक सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया. विविधता से भरे इतने बड़े भारत देश के लिए नागरिकों के लिए कानून और आचार संहिता बनाना और उनके व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना एक विस्तृत कार्य था. इसके लिए किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता थी जो संविधान की क्षमता को समझे और पुराने औपनिवेशिक सोच से परे हो. अपने व्यावहारिक आचरण और आदर्शवादी दृष्टिकोण के साथ, राव ने यह काम अपने कंधो पर लिया.
संविधान निमार्ण में योगदान
उन्होंने अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड और यूके की यात्रा की, जहां उन्होंने विद्वानों, न्यायाधीशों और विधायी कानून के अधिकारियों के साथ चर्चा की. 1948 की शुरुआत में, उन्होंने संविधान का मूल मसौदा तैयार किया, जिस पर बाद में बहस हुई, संशोधित किया गया, और अंत में 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया.
आखिरकार, 26 जनवरी, 1950 को, दुनिया के सबसे विशाल संविधान को कानूनी रूप से लागू किया गया. तभी से इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है. भारतीय संविधान को लिखने में लगभग तीन साल का समय लगा, जिसकी मूल हस्तलिखित प्रतियां भारतीय संसद में विशेष मामलों में संग्रहित हैं.
बी एन राव ने भी संविधान में निर्देशक सिद्धांतों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने भारत सरकार और संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार के रूप में अपने काम के लिए किसी भी पारिश्रमिक को स्वीकार करने से इंकार कर दिया.
अपने अंतिम वर्षों में, जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया, तो उन्होंने एक वैश्विक कद पाया. बी आर अम्बेडकर ने संविधान सभा में अपने समापन भाषण में बी एन राव के योगदान को याद करने हुए कहा था, "मुझे जो श्रेय दिया जाता है वह वास्तव में मेरा नहीं है. यह आंशिक रूप से संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार सर बी एन राव का है, जिन्होंने मसौदा समिति के विचार के लिए संविधान का एक मोटा मसौदा तैयार किया था..." संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद ने राव के बारे में कहा "(बी एन राव) वह व्यक्ति था जिसने भारतीय संविधान की योजना की कल्पना की और इसकी नींव रखी."
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