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समस्तीपुर में आयुष्मान कार्ड बन रहा गरीबों का सहारा

jantaserishta.com
23 Oct 2024 4:40 AM GMT
समस्तीपुर में आयुष्मान कार्ड बन रहा गरीबों का सहारा
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समस्तीपुर: आयुष्मान कार्ड गरीबों के लिए एक वरदान साबित हो रहा है। आर्थिक तंगी के कारण जिन लोगों को इलाज कराने में मुश्किल हो रही थी, अब वे इस कार्ड के जरिए सरलता से उपचार करवा रहे हैं।
सिविल सर्जन डॉक्टर एसके चौधरी ने बताया कि समस्तीपुर जिले में 2011 की जनगणना के अनुसार 8,35,242 परिवारों का चयन स्वास्थ लाभ के लिए किया गया था। इसमें से 3,91,3637 लोगों का चयन आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए किया गया था। इसमें हमारे विभाग ने 7,22,122 लोगों का चयन वेरीफिकेशन के माध्यम से किया। यह कुल आंक़ड़े का लगभग 80 से 90 फीसदी है। इसके बाद विभाग ने 1,65,5576 लोगों के कार्ड जारी कर दिए हैं। इनमें से 54,211 लोगों ने इस योजना के तहत अपना इलाज कराया है, जिसके लिए सरकार ने विभिन्न अस्पतालों को 54.18 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
सिविल सर्जन डॉक्टर एसके चौधरी के अनुसार, छठ पर्व के अवसर पर घाटों पर भी आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए कैंप लगाए जाएंगे। जो लोग अब तक कार्ड नहीं बनवा पाए हैं, वे इन कैंपों का लाभ उठा सकते हैं।
उन्होंने आगे कहा, “यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री की देन है। प्रधानमंत्री आयुष योजना की गुणवत्ता को देखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने भी आम लोगों को इसमें शामिल करने का फैसला किया है। उनकी तरफ से मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का शुभारंभ किया गया था। इस योजना में भी वही सब लाभ हैं जो प्रधानमंत्री आयुष योजना में लाभ हैं। अब आम लोगों का कार्ड बनाया जा रहा है। इस कार्ड से वह लोग देश में कहीं भी इलाज करा सकते हैं। अभी तक कार्ड बनता था और लोग बाहर काम करने की वजह से इसका लाभ उठा नहीं पाते थे। अब वह लोग पूरे देश में कहीं भी इसका लाभ उठा सकते हैं।"
पुर्णिया के राहुल कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने किडनी के स्टोन का ऑपरेशन कराया है और आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण आयुष्मान कार्ड के जरिए ही उनका उपचार संभव हो पाया। उन्होंने कहा कि समस्तीपुर में अच्छे डॉक्टरों की सुविधा मिलने से उनका इलाज सफल रहा।
वारिसनगर कुसैया के रामशरण राय ने बताया कि उनकी आयु बढ़ रही है और कामकाज भी नहीं है। अगर आयुष्मान कार्ड नहीं होता, तो उनका उपचार संभव नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि इस कार्ड के कारण उन्हें कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ा और खाने-पीने की व्यवस्था भी हो गई।
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