यूपी के नए डीजीपी के लिए तलाश शुरू हो गई है. दरअसल, वर्तमान डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी 30 जून को रिटायर हो रहे हैं. जैसे-जैसे उनके रिटायरमेंट की तारीख नजदीक आ रही है, नए डीजीपी को लेकर तमाम नाम चर्चा में आ गए हैं. हितेश चंद्र अवस्थी को सरकार की तरफ से सेवा विस्तार दिए जाने की संभावना भी नहीं नजर आ रही जिससे किसी दूसरे आईपीएस के डीजीपी के पद पर ताजपोशी की सुगबुगाहट शुरू हो गई है.
हितेश चंद्र अवस्थी 1985 बैच के आईपीएस हैं और वर्तमान अफसरों में सबसे सीनियर अधिकारी भी हैं. उनके बाद डेपुटेशन पर तैनात अरुण कुमार का नाम आता है लेकिन वह भी 30 जून को रिटायर हो रहे हैं. बाकी बचे नामों में 1986 बैच के आईपीएस अफसर नासिर कमाल, 1987 बैच के आईपीएस अफसर मुकुल गोयल, 87 बैच के ही आरपी सिंह, विश्वजीत महापात्रा, गोपाल लाल मीणा के अलावा 1988 बैच के आरके विश्वकर्मा, डीएस चौहान, अनिल कुमार अग्रवाल और आनंद कुमार का नाम सबसे ऊपर है. नासिर कमाल इस वक्त केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और जुलाई 2022 में उनका रिटायरमेंट है.
सरकार उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाने के मूड में नहीं दिख रही. यही वजह है डीजीपी की कुर्सी के लिए उनका नाम चर्चा से बाहर माना जा रहा है. सबसे प्रबल दावेदार मुकुल गोयल हैं. मुकुल गोयल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं और इस समय बीएसएफ के डीजी हैं. उनका रिटायरमेंट फरवरी 2024 को है. मुकुल गोयल सपा सरकार में एडीजी कानून व्यवस्था रहे हैं. उनके डीजीपी बनने में यही सबसे बड़ा ड्रॉ बैक हो सकता है. हालांकि, मुकुल गोयल के लिए जोरदार लॉबिंग भी हो रही है. आरपी सिंह को सरकार का विश्वासपात्र माना जाता है. इस वक्त उनके पास डीजी ईओडब्ल्यू और एसआईटी के डीजी का पद हैं.
यह दोनों महत्वपूर्ण विभाग हैं, जिन की कमान वह संभाल रहे हैं. आरपी सिंह ने बीते 2 साल के दौरान पीएफ घोटाला, बाइक बोट घोटाला, सहकारिता भर्ती घोटाला और मदरसों में फर्जीवाड़े के तमाम खुलासे किए हैं. उनका रिटायरमेंट फरवरी 2023 को है. आरपी सिंह के बाद जो प्रमुख नाम डीजीपी के लिए आ रहा है वह है डीएस चौहान का. डीएस चौहान इस वक्त डीजी इंटेलिजेंस हैं. उनका रिटायरमेंट मार्च 2023 को है. डीएस चौहान एकलौते ऐसे अफसर हैं जिन्हें भाजपा सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से बुलाया है. अगर सीनियरिटी को अनदेखा किया जाए तो डीएस चौहान डीजीपी की कुर्सी के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.
एक और नाम आनंद कुमार का है जो इसी सरकार में लंबे समय तक एडीजी कानून व्यवस्था रहे और कानून व्यवस्था में काफी सुधार किया है. फिलहाल आनंद कुमार डीजी जेल के पद पर तैनात हैं और जेलों में तमाम सुधार करने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं. उनका रिटायरमेंट अप्रैल 2024 को है. यानि अभी उनकी काफी नौकरी बाकी है जिसके चलते उन्हें भी डीजीपी की कुर्सी सौंपी जा सकती है.
विश्वजीत महापात्रा और गोपाल लाल मीणा के डीजीपी बनने की संभावना पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं. ऐसी चर्चा है कि सरकार उनसे नाराज है. विश्वजीत महापात्रा भाजपा सरकार बनते ही प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के एडीजी जोन बनाए गए थे. इसके बाद इन्हें सीबीसीआईडी के डीजी की कुर्सी सौंपी गई. हालांकि, हाल ही में उन्हें सीबीसीआईडी से हटाकर वेटिंग पर रख दिया गया. इसी तरह गोपाल लाल मीणा भी डीजी होमगार्ड थे लेकिन उनके कार्यकाल में होमगार्डों की ड्यूटी का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. उसके बाद गोपाल लाल मीणा को डीजी होमगार्ड के पद से हटाकर डीजी मानवाधिकार बनाया गया है. यही वजह है कि सीनियर होने के बाद भी दोनों अफसरों का नाम लिस्ट में नीचे है
फिलहाल, राज्य सरकार की तरफ से यूपीएससी को डीजीपी के लिए चुने गए आईपीएस अफसरों की लिस्ट भेज दी गई है. अब यूपीएससी की कमेटी इस लिस्ट में शामिल सभी अफसरों के नामों पर मंथन करेगी. कमेटी में भारत सरकार के गृह सचिव भी शामिल होते हैं. कमेटी अधिकारियों की लिस्ट से 3 नाम फाइनल करके प्रदेश सरकार को भेजेगी जिसमें से नए डीजीपी के लिए एक अधिकारी का नाम चुना जाएगा.
भाजपा सरकार ने डीजीपी के पद पर तैनाती के लिए सीनियरिटी को ही आधार बनाया है. सरकार के गठन के बाद सुलखान सिंह पहले डीजीपी हुए थे जो उस वक्त के सबसे सीनियर आईपीएस थे. उनका कार्यकाल सिर्फ 3 महीने का था लेकिन सरकार ने 6 महीने का एक्सटेंशन दिला दिया. दूसरे नंबर पर डीजीपी बने ओपी सिंह भी सबसे सीनियर अफसर थे तो वर्तमान डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी भी वरिष्ठ अधिकारी ही हैं. हालांकि, सरकारों ने डीजीपी की कुर्सी के लिए कई बार अपने पसंदीदा अफसर भी चुने. बसपा कार्यकाल में आईपीएस बृजलाल को डीजीपी बनाया गया था जबकि उनसे सीनियर कई अधिकारी बैठे रह गए. हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने बृजलाल को डीजीपी के पद से हटा दिया था. इसी तरह समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में आईपीएस जगमोहन यादव डीजीपी बनाए गए थे. जगमोहन यादव कम से कम 15 आईपीएस अफसरों को सुपरसीड करके डीजीपी की कुर्सी पर बैठे थे.