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सावधान! एआई वॉयस क्लोनिंग से ठगी, जानें इस नए तरीके के बारे में

jantaserishta.com
13 April 2024 3:59 AM GMT
सावधान! एआई वॉयस क्लोनिंग से ठगी, जानें इस नए तरीके के बारे में
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सांकेतिक तस्वीर

पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
नोएडा: साइबर अपराधी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के सहारे अमेरिका में रह रहे साले के बेटे की हूबहू आवाज निकालकर उत्तर प्रदेश पुलिस से रिटायर्ड दरोगा (एसआई) के साथ दो लाख रुपये की ठगी कर ली। वॉयस क्लोनिंग का यह शहर में दूसरा मामला है। सेक्टर-20 पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
सेक्टर-20 के बी ब्लॉक में रहने वाले रनजीत सिंह ने पुलिस को बताया कि वह नोएडा में पुलिस विभाग के एसआई पद से रिटायर्ड हैं। रनजीत के साले का बेटा अमेरिका में रहकर नौकरी करता है। बचपन से वह रनजीत के साथ ही रहा था। ऐसे में वह रजनीत को पापा बोलता है। पांच अप्रैल को रनजीत के पास अनजान नंबर से कॉल आई। कॉल उसके अमेरिका में नौकरी करने वाले साले के बेटे की थी।
बेटे ने कहा कि उसका अमेरिका में एक्सीडेंट हो गया है। उसने एक वकील किया है। इसके लिए उसे दो लाख रुपये की आवश्यकता है। उसने अधिवक्ता का खाता नंबर भी दिया। इसके बाद रनजीत ने संबंधित खाते में दो लाख रुपये की रकम ट्रांसफर कर दी। इसके बाद जब रनजीत ने बेटे का हालचाल लेने के लिए उसके दोस्त को फोन किया तो पता चला कि उसके बेटे को कुछ नहीं हुआ और न ही उसने कॉल की।
बेटे से बात करने के बाद शिकायतकर्ता को ठगी की जानकारी हुई। शिकायतकर्ता ने जब दोबारा जालसाज के नंबर पर कॉल की तो वह बंद आने लगा। जिस खाते में रकम ट्रांसफर हुई है, पुलिस उसकी जानकारी जुटा रही है। साइबर विशेषज्ञों ने बताया कि एआई सॉफ्टवेयर के लीक होने से वॉयस क्लोनिंग के मामले सामने आने लगे हैं। ठग सॉफ्टवेयर का प्रयोग कर किसी भी व्यक्ति के बोलने की पिच और डेसिबल से लेकर एक्सेंट तक कॉपी कर लेता है। इसके लिए कुछ सेकेंड की कॉल की जरूरत होती है।
साइबर विशेषज्ञों ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे होने वाली ठगी बचने के लिए लोगों को एक बार कॉल का सत्यापन जरूर करना चाहिए। ऐसे मामले में जिस व्यक्ति के नंबर से कॉल आई है, उससे एक बार बात अवश्य करें। उसके दोस्तों को भी कॉल कर उसके बारे में जानकारी जुटाएं। जहां गिरफ्तारी या हादसा होने की बात आरोपी करते हैं, वहां की स्थानीय पुलिस से भी संपर्क करें। विशेषज्ञों के अनुसार वॉयस क्लोनिंग आने वाले दिनों में साइबर ठगी का सबसे मारक हथियार होगा।
जालसाजों ने दो माह पहले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के सहारे बच्चे की आवाज का इस्तेमाल कर अस्पताल के कर्मचारी से 40 हजार रुपये की ठगी कर ली थी। मुंबई पुलिस का अधिकारी बनकर ठगों ने जिला अस्पताल में कार्यरत व्यक्ति के साथ ठगी की घटना को अंजाम दिया था। जालसाजों ने पीड़ित के बेटे की एक महिला की हत्या में संलिप्तता बताते हुए उसे जेल में भेजने की धमकी दी थी। ठगों ने एआई तकनीक के जरिये बच्चे के रोने की आवाज भी उसके पिता को सुनाई थी।
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