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शिंदे सरकार पर हमला, शिवसेना ने कही ये बात

jantaserishta.com
15 Sep 2022 4:05 AM GMT
शिंदे सरकार पर हमला, शिवसेना ने कही ये बात
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

मुंबई: वेदांता समूह और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र की दिग्गज फॉक्सकॉन के सेमी कंडक्टर और डिस्प्ले एफएबी मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट को महाराष्ट्र की जगह गुजरात में लगाए जाने के ऐलान पर सियासत नहीं थम रही है.
शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष एकजुट होकर इस मामले पर शिंदे-फडणवीस सरकार को घेरने में लगा हुआ है. अब शिवसेना ने 'सामना' में संपादकीय लिखकर इस मसले पर सरकार को आड़े हाथों लिया.
सामना की संपादकीय में लिखा गया है कि महाराष्ट्र निवेशकों की पसंद का पहला क्रमांक का राज्य है. फिर भी वेदांता-फॉक्सकॉन जैसे बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट को महाराष्ट्र से खींचकर गुजरात ले जाने की खबर चौंकाने वाली है. पुणे के तलेगांव के पास 1100 एकड़ जमीन और दूसरी रियायतें इस उद्योग को देना महाविकास आघाड़ी सरकार ने स्वीकार किया था. यह परियोजना महाराष्ट्र में ही चालू होगी, ये वचन कंपनी ने दिया था.
जून तक इस कंपनी का मन नहीं बदला, लेकिन महाराष्ट्र में एक गैरकानूनी सरकार विराजमान होते ही लगभग एक लाख लोगों को रोजगार देने वाली यह परियोजना गुजरात की तरफ घुमा दी गई. यह महाराष्ट्र की साख पर बड़ा हमला है. मुख्यमंत्री शिंदे का हाल ही में पैठण का दौरा हुआ. उनके गुट के विधायक भुमरे की जिद को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री पैठण यात्रा पर गए. वहां एक मंडप में मुख्यमंत्री को पेड़े और लड्डू से तौलने की योजना थी. उसके लिए कई खोखे भरकर वहां मिठाई लाई गई थी.
शिंदे गुट का खोखे से संबंध जोड़ा जा रहा है फिर भी खोखे की मिठाई देखकर 'तुला' करने से मुख्यमंत्री ने इनकार कर दिया. उनके द्वारा मिठाई तुला करने से मना करते ही उस मंडप में जुटे लोग लड्डू-पेड़ों पर पूरी तरह से टूट पड़े. मुख्यमंत्री की आंखों के सामने ही लोग लड्डू-पेड़े ले भागे. ठीक इसी तरह की 'लूटमार' पद्धति से गुजरात ने महाराष्ट्र की वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना को उड़ा लिया है. इससे पहले मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र को इसी तरह गुजरात ले उड़ा था. अब फॉक्सकॉन हाथ से निकल गया है.
फॉक्सकॉन परियोजना गुजरात में चली गई, इसका ठीकरा मुख्यमंत्री शिंदे ने पहले की महाविकास आघाड़ी सरकार पर फोड़ा. वो कहते हैं, इस परियोजना को दो वर्ष में प्रतिसाद नहीं मिला होगा. फिर ये महोदय पिछले दो वर्ष उसी सरकार में महत्वपूर्ण मंत्री थे. फिर दो वर्ष क्या केवल खोखों का भार ढोने में ये व्यस्त थे? इतनी बड़ी परियोजना को लेकर विलंब हो रहा है, इस मामले में उन्होंने मुख से कुछ भी कहा हो, इसका रिकॉर्ड किसी कैबिनेट की बैठक में नहीं है.
हमारा तो आरोप नहीं बल्कि पूरा यकीन है. फडणवीस ने अपने कार्यकाल में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय केंद्र को मुंबई से उठाकर गुजरात के हवाले कर दिया, उसी तरह मुख्यमंत्री शिंदे ने फॉक्सकॉन परियोजना को गुजरात के हाथ पर रख दिया. कल ये इसी तरीके से मुंबई का भी सौदा किए बिना नहीं रहेंगे.
नई शिंदे सरकार बनने पर सामना में लिखा गया है कि फॉक्सकॉन तो शुरुआत है. 'हमने आपको मुख्यमंत्री पद दिया, आपके विधायकों को पांच-छह सौ खोखे दिए. उसके बदले में मुंबई-महाराष्ट्र की तिजोरी की चाबी हमारे हाथ में दो',ऐसा ये सीधा-सीधा सौदा दिखाई देता है. लेख में आगे लिखा गया है मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने भी फॉक्सकॉन के महाराष्ट्र से गुजरात में जाने पर चिंता व्यक्त की, ये अच्छा ही हुआ; लेकिन महाराष्ट्र पर आर्थिक हमला करनेवाले और यहां के लाखों युवाओं का रोजगार छीन लेनेवाले दूसरे-तीसरे कोई नहीं उनके मित्र भाजपा वाले ही हैं. महाराष्ट्र की प्रगति के सभी इंजन और डिब्बे वे गुजरात की ओर मोड़ देंगे.
इस खतरे पर अभी से ध्यान देना होगा. मुंबई, महाराष्ट्र का महत्व न रहे, इसके लिए भाजपा ने शिंदे नामक कठपुतली को राज्य के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान किया है. मुख्यमंत्री शिंदे ने पैठण के किराए की सभा में आलोचना की कि शिवसेना ने मराठी लोगों का नुकसान किया. यानी मुंबई से मराठी लोग कम क्यों हुए, इस प्रश्न का उत्तर अब उन्होंने ही दे दिया है. वेदांता-फॉक्सकॉन जैसी परियोजना मुंबई, महाराष्ट्र से खींचकर ले जाने के दौरान मुख्यमंत्री दाढ़ी के बाल नोचते बैठे रहे, इसी वजह से मराठी लोगों का नुकसान हुआ है.
शिवसेना पर ठीकरा फोड़नेवालों को असल में यह विचार करना चाहिए कि यदि शिवसेना नहीं होती तो आज के मुख्यमंत्री कहां होते? लेकिन इंसान एक बार बेईमानी की ढलान में उतर जाए तो उसे संभालना मुश्किल होता है. मुख्यमंत्री शिंदे की गाड़ी उसी बेईमानी की ढलान पर है. उनकी अधोगति अटल है. सूरत और गुवाहाटी में बेईमान विधायक गुट से शिंदे कह रहे थे, 'डरो मत. हमारे पीछे एक महाशक्ति है. अब हमें जो चाहिए वो मिलेगा!' शाबाश शिंदे!
आपको जो चाहिए वो मिला; लेकिन महाराष्ट्र के लाखों युवाओं का निवाला और रोजगार आपकी उसी बकासुरी महाशक्ति ने छीन लिया. उसका ठीकरा पहले की सरकार पर फोड़कर आपने अपनी अक्ल का दिवालियापन जाहिर कर दिया है. कल वे महाराष्ट्र में जानवरों में फैल रही 'लंपी' बीमारी का ठीकरा भी आघाड़ी सरकार पर फोड़ देंगे. खुद के घर पालना नहीं हिल रहा है, लेकिन जिनके घर हिल रहा है उनके नाम से उंगलियां फोड़ना या जादू-टोना करना, ऐसी प्रवृत्ति की औलाद महाराष्ट्र के नसीब में आए ये दुर्भाग्य नहीं तो क्या है?
आज एक लाख नौकरियां देने वाली वेदांता-फॉक्सकॉन परियोजना इन लोगों ने दूसरे राज्य में जाने दी. इसके साथ ही महाविकास आघाड़ी सरकार के प्रयास से लाई जानेवाली 'बल्क ड्रग पार्क' नामक एक और बड़ी परियोजना महाराष्ट्र ने खो दी है. महाराष्ट्र में आनेवाली यह परियोजना अब गुजरात सहित आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में स्थापित की जानी है. न जाने ऐसे कितने उद्योग महाराष्ट्र से अन्य राज्यों में जाएंगे, यह वर्तमान 'ईडी' सरकार और उनकी उस 'महाशक्ति' को ही पता होगा. उनके मन में और क्या चल रहा है, वह कोई अघोरी बाबा-बुआ ही जाने. क्योंकि हिंदुओं के देवता और संत इस सरकार को कदापि आशीर्वाद नहीं देंगे.
वेदांता-'फॉक्सकॉन' की लूट का खुलासा शिवसेना ने नहीं किया होता तो यह निवाला पचाकर वे और भी कुछ निगल गए होते. उन्हें 'फॉक्सकॉन' की तरह मुंबई-ठाणे जीतना है. उन्हें महाराष्ट्र का कृषि उद्योग खत्म करना है. उन्हें महाराष्ट्र का गौरव और प्रतिष्ठा खत्म करके महाराष्ट्र को दिल्ली की राह का पायदान बनाना है. शिंदे गुट के पीछे रहने वाली महाशक्ति ने महाराष्ट्र को खुली चुनौती दी है. हालांकि शिंदे सभी ठीकरे शिवसेना और महाविकास आघाड़ी सरकार पर फोड़कर खुद की असफलता पर पर्दा डाल रहे हैं. शिंदे का नाम बदलकर इसके आगे श्रीमान खापरफोड़े रख देना चाहिए. महाराष्ट्र को आंखें खोलकर कदम रखना चाहिए!
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