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असम: कोरोना का हवाला देते हुए म्यांमार ने 14 साल की रोहिंग्या लड़की को वापस लेने से किया इनकार

Apurva Srivastav
1 April 2021 5:37 PM GMT
असम: कोरोना का हवाला देते हुए म्यांमार ने 14 साल की रोहिंग्या लड़की को वापस लेने से किया इनकार
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भारत के एक इमीग्रेशन अधिकारी ने रिपोर्ट की पुष्टि की और आश्वासन दिया कि लड़की को अब सिलचर भेज दिया जाएगा

म्यांमार ने गुरुवार को एक 14 साल की रोहिंग्या लड़की को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जो लगभग दो साल पहले अस्पष्ट परिस्थितियों में भारत पहुंची थी. कछार जिले की असम पुलिस की एक टीम उसे मणिपुर के मोरेह में भारत-म्यांमार बॉर्डर पर ले गई जहां उसे सौंप दिया जाना था, लेकिन पड़ोसी देश के इमीग्रेशन डिपार्टमेंट ने ये कहते हुए अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के गेट खोलने से इनकार कर दिया कि वर्तमान में किसी भी निर्वासन के लिए स्थिति सही नहीं है.

भारत के एक इमीग्रेशन अधिकारी ने रिपोर्ट की पुष्टि की और आश्वासन दिया कि लड़की को अब सिलचर भेज दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम सभी जानते हैं कि म्यांमार की स्थिति शांतिपूर्ण नहीं है और अब इस नाबालिग लड़की को भेजना सुरक्षित नहीं है. लेकिन इन मामलों में कुछ प्रक्रियाएं हैं और हमें उनका पालन करना होगा. जब म्यांमार के इमीग्रेशन अधिकारियों ने गेट खोलने से इनकार कर दिया, तो हम सहमत हुए. वास्तव में उन्होंने पिछले साल कोविड -19 महामारी के कारण बॉर्डर गेट को बंद कर दिया था और गेट को फिर से खोलने में कुछ महीने लग सकते हैं. हम लड़की को सिलचर के एक शेल्टर होम में भेजने की योजना बना रहे हैं.
अधिकारी ने आगे कहा कि लड़की म्यांमार जाने की इच्छुक नहीं है, क्योंकि उसके माता-पिता इस समय बांग्लादेश में हैं. नाबालिग लड़की म्यांमार के रोहिंग्या समुदाय की है और माना जाता है कि वो मानव तस्करी की शिकार है. उसने पहले भारत के विदेश मंत्रालय को लिखकर अपने देश वापस भेजे जाने का अनुरोध किया था. उसके माता-पिता कथित तौर पर बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं.
कछार के पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की है कि भारत और म्यांमार के अधिकारियों के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद वो लड़की को निर्वासित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर ले गए. गुरुवार सुबह आठ पुलिस अधिकारियों की एक टीम उसके साथ थी. सिलचर स्थित मानवाधिकार कार्यकर्ता कमल चक्रवर्ती ने इस प्रयास को लड़की के साथ अमानवीय करार दिया. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट बताती है कि उसके माता-पिता बांग्लादेशी शरणार्थी शिविर में हैं और म्यांमार में स्थिति अस्थिर है, तो ऐसे में भारत सरकार ने उस देश में एक नाबालिग लड़की को भेजने के बारे में कैसे सोचा? ये मानवाधिकार उल्लंघन का स्पष्ट मामला है. हम इसके बारे में विदेश मंत्रालय को पत्र लिखने जा रहे हैं.
असम: 14 साल की रोहिंग्या लड़की को म्यांमार ने वापस लेने से किया इनकार, कोरोना का दिया हवालापिछले कुछ सालों में अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने वाले कई म्यांमार नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था. पिछले साल लॉकडाउन के दौरान रोहिंग्याओं के एक समूह को कछार जिले में असम-मणिपुर सीमा के पास गिरफ्तार किया गया था.


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