भारत
असम: रैकेट चलाने के आरोप में मां-बेटे गिरफ्तार, अब तक 20 लोगों ने बेची अपनी किडनी
Renuka Sahu
13 July 2021 4:50 AM GMT
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फाइल फोटो
असम के मोरीगांव में अवैध किडनी व्यापार रैकेट में शामिल मां-बेटे और उनके साथी को गिरफ्तार किया गया है. आरोपी गरीब ग्रामीणों को किडनी दान करने पर 4-5 लाख रुपये देने का झांसा देते थे
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। असम (Assam) के मोरीगांव में अवैध किडनी व्यापार रैकेट में शामिल मां-बेटे और उनके साथी को गिरफ्तार (Arrest) किया गया है. आरोपी गरीब ग्रामीणों को किडनी दान करने पर 4-5 लाख रुपये देने का झांसा देते थे. गिरफ्तार महिला और उसके साथी मध्य असम के मोरीगांव जिले के दक्षिण धर्मतुल गांव में किडनी का अवैध कारोबार कर रहे थे. उन्होंने गरीब ग्रामीणों को 4-5 लाख रुपये देने का वादा किया था.
किडनी बेचने वालों की तलाश में शनिवार को गांव का दौरा करने के दौरान गांव के कुछ स्थानीय लोगों ने महिला और उसके बेटे को पकड़ लिया, जिसके बाद रैकेट का पता चला. बाद में ग्रामीणों ने उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया.माना जाता है कि गांव के कम से कम 20 लोगों ने एक-एक किडनी बेच दी है.
महिला एजेंट की पहचान बोडो के रूप में
गिरफ्तार महिला एजेंट की पहचान गुवाहाटी निवासी लिलिमाई बोडो के रूप में हुई है. पुलिस ने बोडो, उनके बेटे और उनके साथी रमेन मेधी को गिरफ्तार कर लिया है. मोरीगांव जिले की पुलिस अधीक्षक (एसपी) अपर्णा नटराजन ने कहा, "जागीरोड थाने में मानव तस्करी की धाराओं के तहत मामला (432/21) दर्ज किया गया है. महिला फिलहाल पुलिस हिरासत में है. हमारी जांच जारी है. हम रैकेट के स्थानीय एजेंटों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
कर्ज की रकम चुकाने के लिए बेची किडनी
दक्षिण धरमतुल गांव के लोग ज्यादातर किसान और दिहाड़ी मजदूर हैं. इनमें से ज्यादातर गरीबी रेखा के नीचे आते हैं. दक्षिण धरमतुल गांव के स्थानीय निवासी के दास ने कहा कि कर्ज की रकम चुकाने के लिए उन्होंने एक किडनी बेच दी. उन्होंने कहा, "मैंने केवल अपने परिवार के लिए और ऋण राशि चुकाने के लिए एक किडनी बेच दी. एजेंट ने मुझे 4 लाख रुपये देने का वादा किया, लेकिन मुझे 3.6 लाख रुपये मिले."
एक अन्य ग्रामीण श्रीकांत दास, जिन्होंने एक किडनी भी बेच दी, ने कहा कि उन्हें कोलकाता ले जाया गया और एजेंट ने उनकी एक किडनी बेचने के लिए उन्हें 1.50 लाख रुपये दिए. "रमन नाम के एक व्यक्ति ने हमें कोलकाता पहुँचने में मदद की और लिलिमाई ने वहां रहने की व्यवस्था की थी. उन्होंने मुझसे वादा किया कि वे मेरे बेटे के इलाज का पूरा इंतजाम करेंगे और इसके लिए मुझे उन्हें एक किडनी देनी होगी. लेकिन मेरे बेटे का इलाज नहीं हुआ और उन्होंने मुझे 1.50 लाख रुपये दिए, "
एक अन्य ग्रामीण मीनू दास ने दावा किया कि किडनी का अवैध धंधा पिछले कुछ सालों से चल रहा है. हमारे गांव में यह अवैध धंधा पिछले 4-5 साल से चल रहा है. हमने एजेंट को रंगे हाथ पकड़ने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. हमें इसके बारे में तब पता चला जब कुछ लोग हमारे गांव लौटे और हमें बताया कि उन्होंने एक किडनी बेच दी है. पूर्व में भी कई ग्रामीणों ने अपनी किडनी बेच दी है.
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