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असम चुनाव: सियासी जानकारों ने किया दावा, बिहार चुनाव के जैसा होगा एग्जिट पोल का हश्र

Admin2
1 May 2021 7:04 AM GMT
असम चुनाव: सियासी जानकारों ने किया दावा, बिहार चुनाव के जैसा होगा एग्जिट पोल का हश्र
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एग्जिट पोल में जिस तरह का दावा किया जा रहा है उस से यह बात पूरी तरह स्पष्ट है कि असम में बीजेबिहार चुनाव की तरह होगा एग्जिट पोल का हश्रपी की वापसी हो रही है, लेकिन बीजेपी में तोड़ फोड़ को रोकने के लिए अभी से इस बात का तर्क दिया जा रहा है कि राज्य में लोग कोई नया चेहरा चाहते हैं. मतलब साफ़ है कि वह नया चेहरा "हेमंत बिस्वा शर्मा" ही होंगे और पहले से उन के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है लेकिन बीजेपी अगर सत्ता में आती है तो कमान किस को देगी, यह कहना जल्दबाजी होगी. क्योंकि मोदी और शाह की जोड़ी चौंकाने वाले फैसलों के लिए जानी जाती है.

अगर बीजेपी जीतती है तो मुमकिन है कि बीजेपी की जीत के बाद इस बात का तर्क दिया जाए कि राज्य की जनता ने नए चेहरे के लिए वोट किया है और इस तरह से सब कुछ ठीक ठाक हो जायेगा, लेकिन सियासी जानकारों और राज्य की राजनीति पर गहरी पकड़ रखने वालों का मानना है कि राज्य में कांग्रेस पार्टी की वापसी हो रही है और कांग्रेस गठबंधन बड़ी जीत की ओर बढ़ रहा है.

सियासी जानकारों का मानना है कि जिस तरह से राज्य के सभी समुदायों में बीजेपी और उस के सहयोगियों के लिए रोष था, खास कर CAA और बीजेपी की दूसरी पॉलिसियों से समाज का हर वर्ग नाराज़ था, उस से यह बात तय है कि राज्य में बीजेपी के लिए कोई ऑप्शन नहीं है. कुछ सियासी जानकारों का मानना है कि "अजमल गठबंधन की वजह से कांग्रेस को कुछ सीटों का ज़रूर नुकसान होगा, लेकिन उन का यह भी मानना है कि इस कमी को बोडो पार्टियां आसानी से पूरी कर देंगी. वहीं कुछ का मानना है कि अजमल गठबंधन की वजह से कांग्रेस का सत्ता में आना और आसान हो गया है, क्यों कि राज्य के इलेक्शन को इस बार कुछ सियासी दलों की लाख कोशिश के बावजूद कम्युनल नहीं किया जा सका है.

कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस बार भी एग्जिट पोल्ल का हश्र असम में वही होगा जो बिहार के 2015 के विधान सभा चुनाव में हुआ था, कि तमाम एग्जिट पोल धरे के धरे रह गए थे और नितीश व लालू की अगुवाई में बिहार में महा-गठबंधन की सरकार बानी थी.

सियासी जानकारों का मानना है कि असम में एग्जिट पोल पर यक़ीन करने के लिए कोई तर्क नहीं है. हां!!! यह माना जा सकता है कि केरल में LDF और UDF में कांटे की टक्कर होने वाली है जबकि स्टालिन तमिलनाडु में एग्जिट पोल से कहीं अच्छा करने वाले हैं. बंगाल के लोगों पर अगर यक़ीन करें तो यह तय है कि बंगाल में आसानी से दीदी की वापसी होने जारही है. हालांकि कुछ पत्रकारों का मानना है कि दलित और आदिवासी बड़ी तादाद में बीजेपी के पाले में बंगाल में गए है.

ऐसे में बंगाल में बीजेपी को कुछ सीटों का फ़ायदा हो सकता है लेकिन सरकार ममता की ही बनने वाली है, लेकिन सत्ता में कौन आयेगा और सिंघासन से किस को जनता उतारेगी इस के लिए 24 घंटे और इंतज़ार करना होगा.

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