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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ साल पहले स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी. इस मिशन के जरिए प्रधानमंत्री ने देश को स्वच्छ रखने का अभियान चलाया था. इस अभियान का असर देश में व्यापक रूप से देखा गया। लेकिन फिर भी देश में एक ऐसी जगह थी जहां इस अभियान की जरूरत नहीं थी, इस गांव ने स्वच्छता के मामले में एक मिसाल कायम की है. इस गांव का नाम मावलिननॉंग है और यह मेघालय के पूर्वी खासी हिल्स में स्थित है। इस गांव को देवाची बाग के नाम से भी जाना जाता है। इससे इस गांव की खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह गांव कई सालों से अपनी साफ-सफाई के लिए मशहूर है।
पेड़ की जड़ों से पुल
इस गांव में पेड़ की जड़ों से पुल बनाए गए हैं। इन पुलों की खूबसूरती देखते ही बनती है और ये ट्रेकिंग के लिए भी खास हैं।
प्लास्टिक प्रतिबंध
इस खूबसूरत गांव में प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं होता। यहां बांस से बने कूड़ेदान का इस्तेमाल किया जाता है। इस गांव के लोग सामान ले जाने के लिए कपड़े के थैलों का इस्तेमाल करते हैं। यहां के बच्चे भी साफ-सफाई का खास ध्यान रखते हैं।
साक्षरता दर 100 प्रतिशत
इस गांव के सभी लोग पढ़े-लिखे हैं। यह एक आदर्श गांव है। यहां के लोग पेड़ों के लिए खाद बनाने के लिए गड्ढों में कूड़ा डालते हैं। यह गांव महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश करता है। यहां बच्चों को मां का उपनाम विरासत में मिलता है और पैतृक संपत्ति मां द्वारा परिवार की सबसे छोटी बेटी को हस्तांतरित कर दी जाती है। यह गांव वॉटरफॉल, ट्रेक, लिविंग रूट ब्रिज, डोकी नदी के लिए मशहूर है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता आपका दिल जीत लेती है। गांव में कई रंग-बिरंगे फूलों के बगीचे हैं जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
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