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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर सरकार ने गुरुवार को पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर करने और 29 मई 2009 को शोपियां जिले में दो महिलाओं की मौत के संबंध में झूठी कहानी प्रचारित करने के लिए दो वरिष्ठ डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया है। डॉक्टरों की पहचान स्त्री रोग विशेषज्ञ निघत चिल्लू और बिलाल अहमद दलाल के रूप में की गई है।
सूत्रों ने कहा कि दोनों ने तथ्यों को गलत साबित करने, दोनों महिलाओं के साथ बलात्कार और हत्या का संकेत देने वाली चार झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करके भारत के खिलाफ एक कहानी गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 17 वर्षीय आसिया जान और 22 वर्षीय नीलोफर जान के बलात्कार और हत्या की झूठी खबर से कश्मीर में हिसा भड़क उठी थी। कई जगहों पर भीड़ की सुरक्षा बलों से झड़प भी हुई।
अलगाववादियों द्वारा आहूत अनिश्चितकालीन हड़ताल ने घाटी में शिक्षा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को पंगु बना दिया था। अशांति के बाद, तत्कालीन राज्य सरकार ने शोपियां जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सहित चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। गलत जांच के कारण बलात्कार, हत्या या डूबने से महिलाओं की मौत की पुष्टि नहीं हो सकी। इसके बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया। जांच में दो डॉक्टरों की संलिप्तता का पता चला, जो देश को बदनाम करने के लिए अलगाववादियों के साथ मिलकर काम कर रहे थे।
आखिरकार दोनों डॉक्टरों के खिलाफ तैयार किए गए आरोपों से और भी अधिक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। सूत्रों ने बताया कि निघत की भूमिका की जांच से पता चला कि उसने फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की थी। सीबीआई जांच में कुछ और तथ्य सामने आए। जांच के दौरान स्पष्ट हुआ कि दोनों महिलाओं के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ था। दोनों डॉक्टरों का मकसद सुरक्षाबलों पर रेप का झूठा आरोप लगाकर राज्य के खिलाफ असंतोष पैदा करना था।
जांच में यह बात सामने आई कि इन अधिकारियों को सही तथ्यों के बारे में पता था, इनकी वजह से ही कश्मीर में हिंसा भड़क गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को गलत साबित करने के लिए साजिश रचने के कारण दोनों डॉक्टरों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
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