राजस्थान। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट के बीच बयानबाजी एक बार फिर तेज हो गई है। पायलट ने मानगढ़ धाम में हुए गौरव गाथा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तारीफ करने पर तंज कसा है। वहीं, गहलोत ने पायलट का नाम लिए बिना उन्हें बयानबाजी नहीं करने की सलाह दी है। कहा कि इस वक्त हमारा मकसद सरकार को बरकरार रखना होना चाहिए।
कांग्रेस राजस्थान के मुद्दे पर पार्टी नेताओं को बयानबाजी नहीं करने की हिदायत दे चुकी है। संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल कह चुके हैं कि किसी नेता को राजस्थान पर बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री ने गहलोत की तारीफ कर पायलट को तंज कसने का मौका दे दिया। पायलट ने कहा, प्रधानमंत्री की तारीफ को हल्के में नहीं लेना चाहिए। प्रधानमंत्री ने गुलाम नबी आजाद की भी तारीफ की थी। इसके बाद क्या हुआ, सभी जानते हैं। मानगढ़ कार्यक्रम में पीएम ने अपने भाषण में सबसे पहले गहलोत का नाम लिया और कहा कि गहलोत सबसे वरिष्ठ मुख्यमंत्री हैं। जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब भी गहलोत वरिष्ठ थे। पायलट ने कहा, जिस तरह प्रधानमंत्री ने गहलोत की तारीफ की है, इससे अंदेशा पैदा हो रहा है।
गहलोत और पायलट में मुख्यमंत्री पद को लेकर झगड़ा पुराना है। कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव के दौरान ऐसा लगा था कि पार्टी गहलोत को अध्यक्ष बनाकर पायलट को मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप सकती है। नए मुख्यमंत्री के लिए विधायकों की राय जानने के लिए एआईसीसी के पर्यवेक्षक भी जयपुर पहुंच गए थे।
अशोक गहलोत समर्थक विधायकों ने विधायक दल की बैठक से दूरी बनाकर पूरा खेल पलट दिया। हाईकमान के आदेश के बावजूद प्रस्ताव पारित कराने में विफलता को आधार बनाकर गहलोत ने अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया। इसके बाद पार्टी ने एक-दो दिन में राजस्थान का फैसला करने की बात कही थी, परंतु नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के जिम्मेदारी संभालने के बाद भी कोई निर्णय नहीं हुआ है। यही वजह है कि पायलट का सब्र अब जवाब देने लगा है।