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CM योगी के बयान पर फूटा असदुद्दीन ओवैसी का गुस्सा, कहा- मुसलमान ज्यादा यूज करते हैं गर्भ निरोधक

jantaserishta.com
12 July 2022 12:54 PM GMT
CM योगी के बयान पर फूटा असदुद्दीन ओवैसी का गुस्सा, कहा- मुसलमान ज्यादा यूज करते हैं गर्भ निरोधक
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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर सोमवार को बढ़ती आबादी पर चिंता जताते कहा था कि एक ही वर्ग की आबादी बढ़ने से अराजकता होगी। जनसंख्या का असंतुलन नहीं होना चाहिए। सीएम के इस बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल मुसलमान ही कर रहे हैं।

मंगलवार को हैदाराबाद से सांसद ओवैसी ने सीएम योगी से सवाल करते हुए कहा कि क्या मुसलमान भारत के मूल निवासी नहीं हैं? यदि हम हकीकत में देखें तो मूल निवासी केवल आदिवासी और द्रविड़ लोग हैं। उन्होंने कहा कि बिना किसी कानून के उत्तर प्रदेश में 2026 से 2030 तक वांछित प्रजनन दर हासिल की जाएगी। ओवैसी ने आगे कहा कि उनके अपने ही स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए देश में किसी कानून की जरूरत नहीं है। ज्यादातर गर्भनिरोधक का इस्तेमाल मुसलमान ही कर रहे हैं। 2016 में कुल प्रजनन दर 2.6 थी जो अब 2.3 है। देश का जनसांख्यिकीय लाभांश (डेमोग्राफिक डिविडेंड) सभी देशों से सबसे अच्छा है।
आपको बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में बढ़ती आबादी पर चिंता जताते हुए कहा था कि जब बात परिवार नियोजन की हो, जनसंख्या स्थिरीकरण की हो तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफलतापूर्वक जरूर हों, लेकिन कहीं भी जनसांख्यकीय असंतुलन की स्थिति न पैदा होने पाए। ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने की स्पीड ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों, उन पर जनसंख्या स्थिरीकरण की कोशिशों से, इंफोर्समेंट से और जागरुकता प्रयासों से उनकी आबादी को नियंत्रित कर दिया जाए।
सीएम योगी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश ने बीते पांच वर्ष में बेहतरीन परिणाम दिए हैं। मैटरनल एनीमिया में आज यह 51.1% से घटकर 45.9% रह गया है। 05 वर्ष में फुल इम्यूनाइजेशन 51.1% से बढकर लगभग 70% तक पहुंच गया है। संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 67-68% थी, वह आज 84% की ओर जा रहा है। मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने की कोशिशों के अच्छे परिणाम मिले हैं। अंतर विभागीय समन्वय और जागरूकता की कोशिशों से प्रदेश अपने लक्ष्यों में निश्चित ही सफल होगा।


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