दिल्ली। कर्नाटक में पिछले कई दिनों से टीपू सुल्तान और सावरकर के पोस्टरों को लेकर विवाद जारी है. यहां के कुछ इलाकों में टीपू और सावरकर के बैनर निकालने पर दो गुट आपस में भिड़ चुके हैं. अब इस मुद्दे पर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी का बयान आया है. ओवैसी ने कहा है कि टीपू सुल्तान ने 4 बार अंग्रेजों से जंग लड़ी थी. उनके बलिदान के खिलाफ झूठ फैलाने की कोशिश की जा रही है.
ओवैसी ने शनिवार को कहा कि हम उस युद्ध को नहीं भूल सकते, जो टीपू सुल्तान ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा था. आज हम देख रहे हैं कि मुसलमानों से नफरत करने वाले लोग टीपू सुल्तान के बारे में झूठ फैला रहे हैं. उन्होंने युवाओं से टीपू सुल्तान पर इलियास भटकली की किताब पढ़ने की अपील की.
ओवैसी ने कहा कि टीपू सुल्तान के जीवन के बारे में जानने से ही पता चलेगा कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई किसकी थी और अंग्रेजों से आजादी का रास्ता क्या होना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि टीपू सुल्तान न केवल धर्म के बारे में जानते थए. बल्कि पारसी, अरबी, कन्नड़ , फ्रेंच पढ़ना और लिखना भी जानते थे. AIMIM प्रमुख ने आगे कहा कि टीपू ने अंग्रेजों के खिलाफ 4 युद्ध लड़े हैं, जबकि सावरकर ने अंग्रेजों को चार दया पत्र लिखे हैं. आज देश में ऐसे लोग हैं, जो टीपू सुल्तान से नफरत करते हैं और टीपू सुल्तान के बलिदानों को मिटाना चाहते हैं.
ओवैसी ने कहा कि जो लोग टीपू सुल्तान को हिंदुओं के खिलाफ बताते हैं. उन्हें पता होना चाहिए कि टीपू उन मुसलमानों के भी खिलाफ थे, जिन्होंने निजामों की तरह ब्रिटिश गुलामी स्वीकार की. उन मराठों के खिलाफ भी थे, जिन्होंने अंग्रेजों से मिलीभगत की. टीपू कर्नाटक के नवाब के खिलाफ थे, क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का विकल्प नहीं चुना था. वे ईसाई के खिलाफ थे क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों से मिलीभगत की थी.
ओवैसी ने आगे कहा कि टीपू ने मंदिरों को जो कुछ दिया है, उसके बारे में बीएन पांडे लिखते हैं कि जब टीपू सुल्तान की एक अंगूठी को क्रिस्टीज नाम की कंपनी ने नीलाम किया, तो उसे 1.35 लाख पाउंड की कीमत पर बेचा गया, और अंगूठी पर लिखा नाम 'राम' था. उन्होंने कहा कि संविधान की किताब में टीपू सुल्तान का फोटो झांसी की रानी के बगल में लगा है. ये लोग (भाजपा) टीपू की तुलना सावरकर से करते हैं, जबकि दोनों के बीच जमीन और आसमान का फर्क है.