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Arun Jaitley Birthday: मोदी-शाह के साथ गहरी थी दोस्ती, कॉलेज में ही दिखने लगी थी नेतृत्व क्षमता

jantaserishta.com
28 Dec 2021 3:23 AM GMT
Arun Jaitley Birthday: मोदी-शाह के साथ गहरी थी दोस्ती, कॉलेज में ही दिखने लगी थी नेतृत्व क्षमता
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नई दिल्ली: अरुण जेटली (Arun Jaitley) अपने समय के एक प्रमुख नेता ही नहीं बल्कि देश के कुछ खास वित्त मंत्रियों में से एक के तौर पर याद किए जाते हैं. बेशक वे देश के बड़े राजनैतिक परिवर्तन काल के नेता रहे, लेकिन इस दौर में भी देश ऐसे आर्थिक और राजनैतिक बदलावों का गवाह रहा जिसें जेटली की एक बड़ी भूमिका रही है. 28 दिसंबर उनका जन्मदिन है. वे हमेशा ही एक कुशल वक्ता, वकील (Lawyer), राजनेता, दोस्तों के लिए हमेशा सहायता को तत्पर और एक बेहतरीन समन्वय वाले नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं. क्रिकेट से के लेकर वकालत और राजनीति (Politics) जिस भी क्षेत्र में वे सक्रिय रहे, उनके विरोधी भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके थे.

दिल्ली बनी कर्मभूमि
अरुण जेटली का जन्म दिल्ली में पंजाबी हिंदू मोहयाल ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उनके पिता महाराज किशन पेशे से वकील थे और उनकी मां रतन प्रभा जेटली गृहणी थीं. दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से उन्होंने बीए की डिग्री ऑनर्स के साथ हासिल करने के बाद 1977 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही फेकल्टी ऑफ लॉ से वकालत में स्नातक की डिग्री ली.
कॉलेज में दिखने लगी नेतृत्व क्षमता
अरुण जेटली की नेतृत्व क्षमता कॉलेज के समय से ही दिखने लगी थी. वे दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैम्पस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषतद के छात्र नेता रहे थे और1974 में दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष पद पर पहुंच गए थे. 1973 में राज नारायण और जयप्रकाश नारायण द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए गए अभियान के दौरान वह एक प्रमुख जमीनी नेता के रूप उभरे.
आपातकाल में जेटली
आपात काल (1975 से 1977) में जेलटी काफी सक्रिय रहे. 26 जून 1975 को सुबह-सुबह उन्होंने आपातकाल का विरोध करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पुतला जलाया था. वे कहते थे कि वे आपातकाल के खिलाफ 'पहले सत्याग्रही' थे. इसी कारण वे गिरफ्तार भी कर लिए गए और 19 महीनों तक जेल में रहे. इसी दौरान उन्होंने संविधान सभा की पूरी बहस पढ़ डाली थी.
एक कुशल अधिवक्ता
1980 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ते ही अरुण जेटली उसके दिल्ली के यूथ विंग के अध्यक्ष बने. इसके बाद राजनीति के साथ 1980 के दशक में वे वकालत में ज्यादा सक्रिय रहे और 1987 में वे सुप्रीम कोर्ट के वकील बन गए और 1990 के दशक में देश में गैर कांग्रेस सरकार आने के बाद वे देश के सबसे युवा एडीशनल सोलिसिटर जनरल बने. इस दशक में वे अपनी पार्टी के नेताओं को कानूनी मामलों में कुशलता से बचाने के लिए जाने गए.
बढ़ती लोकप्रियता
21वीं सदी की शुरुआत से ही जेटली बीजेपी के एक प्रमुख नेता रहे. अटल सरकार में विनिवेश राज्य मंत्री मंत्री रहे जेटली, 2003 में बीजेपी के प्रवक्ता बने और 2009 में राज्यसभा में विपक्ष के नेता बने. इस दौरान वे तार्किक रूप से अपना मजबूत पक्ष रखते हुए लोगों को प्रभावित करने में हमेशा ही सफल रहे.
आर्थिक मोर्चे पर जेटली
साल 2014 तक जेटली भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में गिने जाने लगे थे. मोदी सरकार में वित्त, रक्षा और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालयों को बखूबी संभाला और जीएसटी जैसे कानूनों को लाने में प्रमुख भूमिका में रहे. जीएसटी में केंद्र –राज्य के आपसी सहयोग के लिए बनी जीएसटी काउंसिल की सफलता के लिए आम सहमति बनाने का श्रेय जेटली को ही दिया जाता है.
अप्रत्यक्ष करों में कमी करने काम हो, नोटबंदी जैसे जटिल और चुनौतीपूर्ण कार्य को लागू करना हो या फिर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सुधार लाना हो, जेटली हमेशा ही प्रशंसा के पात्र ही रहे. जनधन खाते, मुद्रा योजना आदि परियोजनाओं की सफलता में भी जेटली का अहम योगदान माना जाता है.

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