ओडिशा। क्रिसमस पर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने गंजाम के गोपालपुर में 1500 किलो टमाटर से 27 फीट ऊंचा सैंड सांता क्लॉज बनाया। दरअसल क्रिसमस का त्योहार सैंटा क्लॉज के बगैर अधूरा सा लगता है. चर्चों में लाल-सफेद पोशाकों में सांता क्लॉज बने बच्चे उस सैंटा की याद दिलाते हैं, जिनकी कहानियां हमने बचपन से सुनी हैं. खासकर बच्चों को इस दिन खास इंतजार रहता है गिफ्ट्स बांटने वाले सांता का, जो चुपके से उनका मनपसंद तोहफा उनके लिए रख कर चला जाता है. जैसा हम देखते आए हैं, सांता क्लॉज एक भारी कद काठी के लाल सफेद कपड़े पहनने वाले बुजुर्ग की छवि है. वो हो-हो-हो कर हंसता है. ऐसा कहा जाता है कि क्रिसमस ईव पर वो अपनी 8 बारहसिंगों वाली गाड़ी पर बैठकर आता है. अपनी झोली से गिफ्ट्स निकालकर बच्चों को बांटता है.
किंवदंतियों के अनुसार, सांता एक हंसमुख आदमी है जो अपने साथी बौने की सहायता से पूरे साल बच्चों के लिए खिलौने बनाता है. कहा जाता है कि उसे बच्चों की चिट्ठियां मिल जाती हैं जिसमें वे अपने पसंदीदा गिफ्ट्स की मांग करते हैं. वह उत्तरी ध्रुव में अपनी पत्नी मिसेज़ क्लॉस के साथ रहता है. इस सफेद दाढ़ी वाले खुशमिजाज आदमी की कहानी 280 ईस्वी के दौरान तुर्की में शुरू होती है. संत निकोलस, जरूरतमंद और बीमारों की मदद करने के लिए घूमा करते थे. उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति का इस्तेमाल वंचितों की सहायता के लिए किया. कहा जाता है कि उन्होंने 3 बहनों के दहेज के लिए अपनी पूरी संपत्ति दे दी, जिनके पिता उन्हें बेच देना चाहते थे. उन्होंने बच्चों और उस इलाके के नाविकों की भी बहुत सहायता की.
एक और कहानी के अनुसार, जब नीदरलैंड के लोग नई दुनिया के उपनिवेशों में रहने गए, तो उन्होंने सिंटरक्लास की कहानियां कहनी शुरू की. सिंटरक्लास, सेंट निकोलस का डच अनुवाद है. सन 1700 तक अमेरिका में संत की दरियादिली की कहानियां दूर-दूर तक पहुंच गईं और वहां की पॉप संस्कृति ने उनकी छवि बदल दी. अंततः उनकी मृत्यु के बाद, उनका नाम सांता क्लॉस के रूप में मशहूर हुआ.
ओडिशा: क्रिसमस पर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने गंजाम के गोपालपुर में 1500 किलो टमाटर से 27 फीट ऊंचा सैंड सांता क्लॉज बनाया। #Christmas pic.twitter.com/ByL5jFD9CI
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 24, 2022