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सेना ने चीन से लगी सीमा पर बढ़ाई अपनी ताकत, रुद्र-ध्रुव और चीता हेलीकाप्‍टरों को किया तैनात

Deepa Sahu
18 Oct 2021 3:25 PM GMT
सेना ने चीन से लगी सीमा पर बढ़ाई अपनी ताकत, रुद्र-ध्रुव और चीता हेलीकाप्‍टरों को किया तैनात
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भारतीय सेना (Indian Army) ने अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र (Arunachal Pradesh Region) में चीन से लगी सीमाओं के पास तैनाती बढ़ा दी है।

मिसामारी, भारतीय सेना (Indian Army) ने अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र (Arunachal Pradesh Region) में चीन से लगी सीमाओं के पास तैनाती बढ़ा दी है। समाचार एजेंसी आइएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक तैनाती में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं भारतीय सेना ने अपने विमानन विंग के एयर फायर पावर में भी सुधार किया है। बताया जाता है कि भारतीय सेना (Indian Army) ने हेरान आई ड्रोन, हथियारबंद अटैक हेलीकाप्टर रुद्र और ध्रुव की तैनाती की है जबकि बल में पहले से ही एविएशन विंग में बड़े पैमाने पर चीता हेलीकाप्टर तैनात थे।

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सेना (Indian Army) ने स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित उन्नत हल्के हेलीकाप्टर ध्रुव के स्क्वाड्रन को खड़ा किया है। यही नहीं रुद्र लड़ाकू हेलीकाप्टरों का पहला स्क्वाड्रन भी तैयार किया है। बता दें कि ध्रुव 5.5 टन भार वर्ग का डबल इंजन वाला, मल्‍टी रोल नई पीढ़ी का हेलीकाप्टर है। इसका इस्‍तेमाल सैनिकों की फौरी तैनाती के मद्देनजर किया गया है। वहीं रुद्र एयर-टू-एयर मिसाइल से लैस है। यह सेना के हवाई बेड़े में नई ताकत जोड़ने वाला पहला लड़ाकू हेलिकाप्‍टर है।
सेना के अधिकारियों ने बताया कि एयर विंग का पायलट एक तीरंदाज की तरह होगा जो दुश्मन पर हमला करेगा और उन्‍हें दूर से ही मार गिराएगा। यही नहीं भारतीय सेना की एविएशन विंग ने हाल ही में इजरायली यूएवी हेरान ड्रोन शामिल हुए हैं। कोर आफ आर्मी एविएशन के लेफ्टिनेंट कर्नल अमित डधवाल का कहना है कि एविएशन विंग को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। इसमें चीता समेत कई लड़ाकू हेलिकाप्‍टर शामिल किए गए हैं। ये हथियार सेना के कमांडरों को ऐसे क्षमताएं देते हैं ताकि हम सभी प्रकार के आपरेशनों को अंजाम दे सकें।
दरअसल एलएसी पर चीनी सेना की आक्रामकता कम होने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है कि भारतीय सेना ने अपनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीमा क्षेत्र में निगरानी की आवृत्ति बढ़ा दी है। सेना के अधिकारियों का कहना है कि एविएशन विंग की स्थापना के बाद से निगरानी की क्षमता में इजाफा हुआ है। अब 30 हजार फीट की ऊंचाई तक जाकर जमीन पर कमांडरों को फीड दिया जा सकता है ताकि सेना को जमीन पर आपरेशनों को अंजाम देने में सहूलियत हो सके।


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