भारत

महाप्रलय! जब कैलेंडर के कारण लोगों में था दहशत का माहौल, पूरी दुनिया में था टेंशन, जानिए क्या थी पूरी सच्चाई?

jantaserishta.com
28 Dec 2020 11:35 AM GMT
महाप्रलय! जब कैलेंडर के कारण लोगों में था दहशत का माहौल, पूरी दुनिया में था टेंशन, जानिए क्या थी पूरी सच्चाई?
x

DEMO PIC 

करीब साढ़े तीन हजार साल पुरानी एक सभ्यता का कैलेंडर दिखाकर दहशत का ऐसा माहौल बनाया गया, जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती. प्रोग्रेसिव माने जाने वाले हॉलीवुड ने भी 2012 के नाम से फिल्म बनाकर इस डर को इन-कैश कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी. ईसा मसीह के जन्म से करीब 1500 साल पहले मैक्सिको और अमेरिका में विकसित हुई माया सभ्यता के कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के आगे की कोई तारीख नहीं थी. इसी को आधार बनाकर यह ढिंढोरा पीटा गया था कि 21 दिसंबर 2012 के दिन कयामत आएगी. आसमान से उल्का बरसेंगे. एक तारा भी टूटकर धरती पर गिरेगा. धरती के नीचे से जलजला उठेगा. कुल मिलाकर ऐसा महाप्रलय आएगा कि धरती पर कुछ नहीं बचेगा.

पूरी दुनिया में 21 दिसंबर 2012 का खौफ था. अमेरिका से लेकर चीन तक हर तरफ सिर्फ यही चर्चा थी कि क्या दुनिया खत्म हो जाएगी? क्या 21 दिसंबर को वाकई महाप्रलय आएगा? लेकिन ना महाप्रलय आया, ना ही माया कैलेंडर की भविष्यवाणी सच हुई. दरअसल, माया सभ्यता के विद्वानों को अंतरिक्ष विज्ञान का भी ज्ञान था. लेकिन यह पूरी सभ्यता 800 एडी के आसपास खत्म हो गई थी. इसी सभ्यता के कैलेंडर के अनुसार 2012 में धरती पर प्रलय आने की भविष्यवाणी की गई थी.
क्या थी हकीकत?
21 दिसंबर 2012 मानव सभ्यता के खत्म होने की तारीख नहीं थी. यह माया कैलेंडर के एक चक्र या युग के खत्म होने की तारीख थी. जिस तरह ग्रेगोरियन कैलेंडर में 31 दिसंबर साल की आखिरी तारीख होती है. उसी तरह 21 दिसंबर 2012 को मायन कैलेंडर का एक चक्र या युग या बक्तून खत्म होने वाला था. गोल पत्थर पर खुदे कैलेंडर में आगे की तारीखों के लिए कोई जगह ही नहीं बची थी. इसलिए आगे की किसी तारीख का जिक्र नहीं था. 21 दिसंबर 2012 को 13वां बक्तून खत्म हुआ और अगले दिन 14वां बक्तून शुरू हो गया. इस ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया और धरती पर महाप्रलय की भविष्यवाणियां कर दी गईं.
वैसे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने प्रलय की तारीख से करीब महीना भर पहले ही ये ऐलान कर दिया था कि अरबों सालों से सलामत दुनिया आगे भी सलामत रहेगी. इसके बावजूद पूरी दुनिया में 21 दिसंबर 2012 की तारीख ने लोगों को डराया. सालों तक उन्हें खौफ के साए में जीने को मजबूर कर दिया. हालांकि माया सभ्यता के कैलेंडर को लेकर किया गया दावा खत्म नहीं हुआ. दावा किया गया कि कोरोना वायरस महासंकट के बीच 21 जून 2020 को दुनिया खत्म हो जाएगी. वैज्ञानिक पाओलो तगलोगुइन ने भी इस दावे के समर्थन में ट्वीट किया. हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया.
2020 के जून की वो तारीख तो कब की गुजर गई लेकिन दुनिया आज भी कायम है और अब 2021 को लेकर एक बार फिर अफवाहों का बाजार गर्म है. माया सभ्यता का कैलेंडर बनाने वाले को प्रलय की तारीख मालूम थी या नहीं, ये पक्के तौर पर कोई नहीं जानता. लेकिन उनके कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 से आगे की कोई तारीख नहीं थी. इसलिए इसे ही प्रलय की तारीख मान लिया गया. प्रलय के डर ने कई साल तक लोगों को परेशान करके रखा, लेकिन प्रलय की तारीख आई तो दावे गलत साबित हुए. हालांकि, एक बार फिर 2021 को लेकर ऐसा ही माहौल बनाया जा रहा है.



Next Story