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गवर्नर सत्यपाल मलिक का एक और हमला, PM मोदी से दोबारा मिलने की हिम्मत नहीं जुटाई

jantaserishta.com
4 Jan 2022 2:44 AM GMT
गवर्नर सत्यपाल मलिक का एक और हमला, PM मोदी से दोबारा मिलने की हिम्मत नहीं जुटाई
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नई दिल्ली: मेघालय के गवर्नर सत्यपाल मलिक अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. वे अक्सर सरकार के खिलाफ बेबाकी के बोलते हैं. इस बार उन्होंने पीएम मोदी को घमंडी कह दिया है जिस पर विवाद हो रहा है.

आजतक से बातचीत में सत्यपाल मलिक ने कहा कि 'मेरा पीएम के साथ मतभेद था. मैं हमेशा से प्रधानमंत्री तक जनता की बात पहुंचाता आया हूं. जब मैं प्रधानमंत्री से मिला, तो उनका रवैया अड़ियल था. मैं कोई आरोप के तौर पर नहीं कह रहा. उनका रुख ऐसा था कि वह सुनना नहीं चाहते थे और उन्होंने कहा कि अमित शाह से जाकर मिल लो.' उन्होंने कहा कि अमित शाह पीएम का बहुत सम्मान करते हैं और उन्होंने उनसे बहुत आदर पूर्वक बात की.
किसान आंदोलन पर पीएम को समझाने की कोशिश की
उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन पर उन्होंने पीएम को समझाने की कोशिश की थी. सत्यपाल मलिक ने कहा, 'मैंने पीएम को यह समझाने की कोशिश की कि यह सिख समुदाय है, यह हार नहीं मानता और अब तो जाट भी इनके साथ जुड़ गए हैं, तो यह बहुत ही संवेदनशील स्थिति है. मैंने यह समझाने की कोशिश की कि इनको खाली हाथ मत भेजिए और इन पर फोर्स का इस्तेमाल मत कीजिएगा.'
जिस दिन उन्होंने यह कानून वापस लिया, तो मैंने पीएम साहब का धन्यवाद किया.
'1 मिनट में गवर्नर का पद छोड़ दूंगा'
उन्होंने कहा कि मैंने दोबारा पीएम से मिलने की हिम्मत नहीं जुटाई, क्योंकि थोड़ा झगड़ा सा हो गया था. मैंने मन बना लिया था कि अगर यह कहेंगे कि तुम हमारे लिए अनकंफर्टेबल हो, तो मैं 1 मिनट में गवर्नर का पद छोड़ दूंगा.
'गुजरात में एमएसपी के पक्ष में लिखा था, यहां पता नहीं क्या हो गया'
भाजपा नेताओं का गांव में जाना मुश्किल हो गया था. पश्चिम यूपी के गांव में कोई मंत्री तक नहीं जा सकता था. पीएम का तो सब सम्मान करते हैं, वह एक अलग चीज है. हरियाणा में तो सीएम का हेलीकॉप्टर उतरने नहीं दे रहे थे. गुजरात में पीएम को लोग एक किसान परस्त आदमी के नाम से जानते हैं. उन्होंने एमएसपी के पक्ष में लिखा था, यहां पता नहीं क्या हो गया.
'एमएसपी पर उनका रवैया अड़ियल था'
सत्यपाल मलिक ने प्रधानमंत्री के लिए कहा, 'एमएसपी पर उनका रवैया अड़ियल था कि हम इसमें कुछ भी बदलने को राजी नहीं है. जबकि सीएम रहते हुए उनकी सिफारिश की थी और कहा था कि हम कानूनों को भी पक्ष में लाएंगे. उनके रवैए में कोई फ्लैक्सेबिलिटी नहीं थी कि हम सुनेंगे, करेंगे या मानेंगे. इसका खामियाजा उठाना पड़ा. पहले कर देते तो बहुत फायदा होता.'
उन्होंने यह भी कहा कि किसान अभी संतुष्ट नहीं हैं, किसानों के पक्ष में जल्दी से फैसला कर दें तो उतना ही अच्छा होगा. किसानों के मसले में अगर पीएम जल्द से जल्द रास्ता निकालते हैं, तो उनको कोई दिक्कत नहीं होने वाली.

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