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नई दिल्ली: विवादास्पद टिप्पणियां करने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मालविंदर सिंह माली से पार्टी को छुटकारा मिले अभी कुछ ही समय बीता है कि सिद्धू के एक अन्य सलाहकार प्यारे लाल गर्ग ने अब कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार को निशाने पर लेकर कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।
गर्ग ने पंजाब सरकार द्वारा श्री गुरु तेग बहादुर जी को समर्पित पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि पार्टी ने संविधान की आड़ लेकर धर्म का कार्ड खेला है। सोशल मीडिया पर गर्ग ने कहा है कि पंजाब सरकार के जरिए कांग्रेस ने एक दिन के विशेष सत्र को लेकर विधायकों को व्हिप भी जारी किया, जो न सिर्फ लोकतंत्र का अपमान है, बल्कि ऐसा करके संविधान के जरिए धार्मिक कट्टरवाद को बढ़ावा दिया गया है।
गर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करके उनकी धार्मिक आजादी छीन ली। कांग्रेस खुद को एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी बताती रही है लेकिन विधानसभा सत्र बुलाने की सांविधानिक मजबूरी की आड़ में पार्टी ने धर्म का कार्ड खेला। उन्होंने कहा कि गुरु साहिबान ने धर्म की आजादी के लिए ही कुर्बानी दी थी।
गर्ग ने कहा कि भारत के संविधान में धार्मिक विचारों की आजादी की बात कही गई है लेकिन कांग्रेस ने जैसा किया है, वही अगर आरएसएस करेगी तो उन्हें भी गलत नहीं ठहराया जा सकेगा। इसके साथ ही सिद्धू के सलाहकार ने अपनी राय रखी कि विधानसभा को धर्म के मामलों से दूर रहना चाहिए। कैप्टन सरकार को अगर ऐसे मामले में विशेष आयोजन करना भी था तो कम से कम विधायकों के लिए व्हिप जारी नहीं किया जाना चाहिए था।
कैप्टन पर पहले भी दिया था विवादित बयान
उल्लेखनीय है कि इससे पहले गर्ग ने कैप्टन द्वारा पाकिस्तान की आलोचना को गलत ठहराते हुए कहा था कि इससे पंजाब को नुकसान उठाना पड़ सकता है। गर्ग ने यह भी आरोप लगाया था कि कैप्टन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह से मिले हुए हैं। गर्ग के इस बयान पर काफी विवाद हुआ था लेकिन न तो गर्ग और न ही सिद्धू ने इस मामले में कोई स्पष्टीकरण जारी करना जरूरी समझा।
हाईकमान के दबाव में हो चुकी पहले सलाहकार की छुट्टी
ताजा प्रकरण से पहले, नवजोत सिद्धू को अपने एक अन्य सलाहकार मालविंदर माली को कांग्रेस हाईकमान के भारी दबाव के चलते हटाना पड़ा था। माली भी गर्ग की भांति सोशल मीडिया पर विवादास्पद टिप्पणियों के कारण कांग्रेस के निशाने पर आ गए थे। दरअसल, माली ने पहले तो कश्मीर को अलग देश बताते हुए अपने बयान में कहा था कि कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। इस बयान पर कांग्रेस हाईकमान को भाजपा ने निशाने पर ले लिया और कांग्रेस के लिए जवाब देना मुश्किल हो गया था। इसके बाद माली ने अपने फेसबुक पेज पर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी का एक विवादित पोस्टर कवर फोटो के रूप में लगाया था। कांग्रेस में इसका भी भारी विरोध हुआ। आखिरकार हाईकमान के दबाव में माली ने सलाहकार का पद छोड़ दिया था।
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