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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: भले ही गुजरे रविवार को अंकिता भंडारी के शव का दाह संस्कार हो चुका हो, लेकिन उत्तराखंड में अभी भी इस हत्याकांड को लेकर आक्रोश कम होता दिखाई नहीं दे रहा. दरअसल, लोगों को शक है कि कहीं न कहीं इस केस के आरोपियों को बचाने की कोशिश की जा रही है. अब सवाल उठ रहे हैं कि पानी से करीब 6 दिन बाद निकाले जाने के बाद भी अंकिता की डेडबॉडी फूली क्यों नहीं थी? रिजॉर्ट में अंकिता का कमरा ही क्यों तोड़ा गया?
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक चश्मदीद सरोजनी थपलियाल ने बताया, अंकिता की डेडबॉडी को पानी से निकालने से लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने तक मैं साथ रही थी. मैंने देखा कि डेडबॉडी बिल्कुल फूली हुई नहीं थी जबकि 6 दिन से नहर में डूबने की बात कही जा रही है. यही नहीं, दांत भी टूटे हुए थे और सीने पर खरोंच के निशान थे. इसके अलावा अंकिता की डेडबॉडी पर घाव भी थे और बाल उखड़े हुए थे.
सरोजनी ने आगे बताया, मेरे साथ दो महिलाएं प्रमिला रावत और आरती राणा भी थीं. वो दोनों भी अंकिता की डेडबॉडी देखकर चौंक गईं. इसकी वजह यह थी कि आखिर 6 दिन से पानी में डले शव को मछलियों तक ने नहीं खाया? डेडबॉडी पर चोट के निशान कैसे आए?
डेडबॉडी के न फूलने से अब शक पर शक पैदा होता जा रहा है. अंकिता को न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया पर आवाज उठा रहे यूजर्स आशंका जता रहे हैं कि कहीं हत्या करके अंकिता की लाश नहर में तो नहीं फेंकी गई? जबकि आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि विवाद के बाद उन्होंने अंकिता को चिल्ला नहर में धक्का दे दिया था. यानी कि कहानी इतनी सीधी नहीं लगती, जितनी बताई और दिखाई जा रही है.
इसलिए और भी बढ़ता जा रहा शक
अंकिता के आरोपियों पर धामी सरकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी लोग संतुष्ट नहीं दिख रहे. इसकी वजह बताते हुए चश्मदीद सरोजनी ने कहा कि अस्पताल में पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टर्स का पैनल पूरा नहीं था. मतलब महिला का पीएम करने के लिए लेडी डॉक्टर को भी होना चाहिए था, लेकिन पुरुष डॉक्टर्स की मौजूदगी में ही पूरी प्रक्रिया की गई. इसीलिए चश्मदीदों के साथ साथ अन्य लोगों को इस पूरी कार्यवाही पर संदेह बना हुआ है. देखें Video:-
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