भारत
पशु प्रेम: बकरे की निकली शवयात्रा, हिंदू रीति रिवाज से किया अंतिम संस्कार, देखें तस्वीरें
jantaserishta.com
4 Dec 2021 7:01 AM GMT
x
पशु प्रेम की यादगार तस्वीर देखने को मिली।
कौशांबी: यूपी के कौशांबी जिले में पशु प्रेम की यादगार तस्वीर देखने को मिली, जो लोगों के लिए एक किस्सा बन गया. यहां एक बकरे की मौत के बाद जहां परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई. वहीं, मृत बकरे के मालिक ने बाकायदा हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी किया.
शव यात्रा के दौरान राम नाम सत्य के जयकारे भी लगाए गए. इसके अलावा बकरे की मृत आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन किया जाएगा है. पशु प्रेम की इस कहानी को सुनकर हर कोई आश्चर्यचकित भी है और लोगों के मन में पशु प्रेम की भावना भी जागृत होने लगी है.
सिराथू तहसील क्षेत्र के सयारा मीठेपुर निहालपुर गांव निवासी रामप्रकाश यादव होमगार्ड के पद पर तैनात हैं. उनकी तैनाती मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में है. उन्होंने एक बकरा पाल रखा था. बकरा घर में रहते-रहते काफी घुल मिल गया था. उसका नाम कल्लू रख दिया गया. बकरे को अपना बेटे जैसा समझकर उसका पालन-पोषण करते थे.
1971 में राजेश खन्ना की स्टार फ़िल्म हाथी मेरे साथी तो आपने ज़रूर देखी होगी जिसमें हाथी और मनुष्य के बीच पशुप्रेम दिखाया गया था, उसी तरह कौशाम्बी में बकरे का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से किया गया। फर्क बस इतना है कि फ़िल्म रील थी जबकि कौशाम्बी का पशु प्रेम रियल लाइफ का है। pic.twitter.com/BcTAjF5hXb
— Akhilesh kumar Gautam (Aaj Tak) (@akhileshGautamG) December 3, 2021
हिंदू रीति-रिवाज से किया गया अंतिम संस्कार
परिजनों को भी बकरे से काफी प्रेम हो गया था. ऐसे में वह बकरे को किसी कसाई के हाथों बेचना नहीं चाहते थे. रामप्रकाश ने परिजनों के साथ बैठकर एक दिन योजना बनाई कि यदि बकरे की मौत होती है तो वह हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार करेगा और उसकी आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मण भोज का भी आयोजन करेगा.
बकरा दो दिन से बीमार चल रहा था. उसकी दवा भी कराई गई लेकिन शुक्रवार की सुबह अचानक बकरे की मौत हो गई. इसके बाद परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई.
खुद का सिर भी मुंडवा लिया
ग्रामीणों के साथ मिलकर रामप्रकाश फिर बकरे की अंत्येष्टि की तैयारी में जुट गया. बकायदा बकरे की शव यात्रा निकाली गई. इसके बाद उसे अपने निजी खेत में ले जाकर हिंदू रीति रिवाज से अंतिम-संस्कार किया. इतना ही नहीं शुद्धिकरण के लिए उसने अपना सिर भी मुंडवा लिया और दाग भी दिया.
राम प्रकाश यादव ने बताया, एक बकरा मैंने पाल रखा था. उसका नाम कल्लू था. वह साढ़े 5 साल का था. बीच में तबीयत ज्यादा खराब नहीं हुई है, पता नहीं क्या हुआ लेकिन दो दिन के भीतर बीमारी से वह मर गया. उसको मैंने अपनी जी जान से लगाकर औलाद की तरह पाला था. हमारे पास कोई संतान नहीं है, इसलिए उसी को अपना संतान समझकर पाल लिया. हमने हिंदू-रीति रिवाज में जो होता है उसी तरह अंतिम संस्कार किया है. उसकी आत्मा की शांति के लिए मैं सब कुछ करूंगा. हमने उसको ले जाकर खेत में दफनाया. जैसे किसी आम आदमी का अंतिम संस्कार होता है उसी तरह किया है. दाग भी दिया और इसकी तेरहवीं भी करूंगा.
jantaserishta.com
Next Story