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लखनऊ: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शिक्षक अमुटा का चुनाव न होने से आक्रोश में हैं. 13 सितंबर को अमुटा जनरल बॉडी की बैठक होनी है. प्रत्याशियों का कहना है की अमुटा संविधान के मुताबिक कार्यकारिणी का कार्यकाल दो वर्ष होता है. वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल अप्रैल 2020 में समाप्त हो गया था. कोरोना महामारी की आड़ में चुनावों को जानबूझकर टाला जा रहा है. अमुटा 1500 से अधिक शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करती है. नये पदाधिकारियों का चुनाव कराने के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. इससे शिक्षकों में काफी रोष है.
बता दें कि शिक्षकों के दबाव के चलते चुनाव अधिकारी ने चुनाव का ऐलान किया था. लेकिन शिक्षकों को बड़ा झटका उस वक्त लगा जब वोटर लिस्ट को तय तिथि तक अंतिम रूप नहीं मिल पाया. इस मामले में चुनाव अधिकारी का कहना है कि अमुटा के सचिव ने वोटर लिस्ट नहीं दी.
बढ़ता जा रहा शिक्षकों का गुस्सा
अमुटा सचिव का कहना है कि चुनाव तिथि का ऐलान उनसे पूछे बगैर कर दिया गया. चुनाव अधिकारी और अमुटा सचिव के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. इसको लेकर चुनाव पर असमंजस के बादल मंडरा रहे हैं. शिक्षकों का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा है.
चुनाव ना होना लोकतंत्र पर हमला
शिक्षकों ने अमुटा सचिव पर आरोप लगाया है कि चुनावों के संबंध में कई बार लिखित और मौखिक रूप से कहा गया. बावजूद इसके अनदेखी की गई. मार्च में दो सौ शिक्षकों ने सचिव को पत्र सौंपा था. इसमें अमुटा की आम सभा की बैठक बुलाकर चुनावों की तिथि की घोषणा की मांग की गई थी. लेकिन सचिव ने मीटिंग नहीं बुलाई. शिक्षकों का कहना है समय पर चुनाव ना होना लोकतंत्र पर बड़ा हमला है. 15 सितंबर को चुनाव किसी भी हाल में कराया जाए. ऐसा न होने पर मांगों और लोकतंत्र की बहाली के लिए बड़ा आंदोलान करेंगे.
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