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आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार को मिली नई कैबिनेट, अनुभव और युवा कॉम्बिनेशन
jantaserishta.com
11 April 2022 9:34 AM GMT
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हैदराबाद: आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने दोबारा से अपने 25 सदस्यीय मंत्रिमंडल का गठन किया. राज्यपाल बिस्वा भूषण हरिचंदन ने जगन सरकार के मंत्रियों को सोमवार को शपथ दिलाई है. इससे पहले 24 कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद अब मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया गया है. सीएम जगन रेड्डी ने 11 पुराने चेहरों को मंत्री बनाकर एक बार फिर से कैबिनेट में जगह दी है जबकि 14 नए चेहरों को पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. पुनर्गठन मंत्रिमंडल में वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं के साथ युवा चेहरों को तरजीह दी गई है तो 2024 में होने वाले चुनाव के साथ-साथ सामाजिक समीकरण साधने की कवायद की गई है.
नए मंत्रिमंडल में अंबितस रामबाबू, शेख अमजद भाषा, आदिमुलापु सुरेश. बोत्सा सत्यनारायण, बुडी मुथ्याला नायडू, बुगना राजेंद्रनाथ रेड्डी, चेलुबोइना वेणुगोपाल, ददिशेट्टी राजा, आर धर्मना प्रसाद राव, गुडीवाड़ा अमरनाथ, गुम्मनूरु जयराम, जोगी रमेश, काकानी गोवर्धन रेड्डी, करुमुरी नागेश्वर राव, कोट्टू सत्यनारायण, के नारायण स्वामी, केवी उषा श्रीचरण, मेरुगा नागार्जुन, पेडिरेड्डी रामचंद्र रेड्डी, पिनिपे विश्वरूप, राजान्ना धोरा पिदिका, आरके रोजा, सिदिरी अप्पलाराजू, तनेति वनिल्ला और विदुदाला रजनी ने मंत्री पद के रूप में शपथ ली है.
जगन सरकार में वरिष्ठ नेता बोत्सा सत्यनारायण (तटीय आंध्र प्रदेश) बी राजेंद्रनाथ (वित्तमंत्री, YSR के पूर्व सहयोगी) और पेड्डिरेड्डी (रायलसीमा के बड़े नेता) को फिर मिली मंत्रिमंडल में जगह मिली है, जिन्हें लेकर माना जा रहा था कि मंत्रिमंडल के पुनर्गठन में हटाया जा सकता, लेकिन ऐसा नहीं किया.
वहीं, फिल्म स्टार आरके रोजा को भी मंत्री बनाया गया है साथ ही अंबाती रामबाबू और गुडिवाड़ा अमरनाथ उन अन्य चेहरों में शामिल हैं जिन्हें पहली बार कैबिनेट में जगह मिलेगी.
कैबिनेट गठन में आंध्र प्रदेश के जातीय समीकरण का मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने खास ख्याल रखा है. सूबे की आधी आबादी ओबीसी समाज की है, जिसके तहत कैबिनेट उनकी आबादी के लिहाज से प्रतिनिधित्व दिया गया. नए मंत्रिमंडल में पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक समुदायों को 68 फीसदी प्रतिनिधित्व मिला है तो कैबिनेट में महिलाओं की संख्या एक से बढ़कर चार हो गई है.
बता दें कि 2019 में सत्ता की कमान सीएम जगन रेड्डी ने संभाली थी तो 25 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 56 फीसदी एससी, एसटी, ओबीसी और समाज के अल्पसंख्यक के मंत्री थी. लेकिन, अब सीएम ने कैबिनेट में इनका प्रतिनिधित्व बढ़ाकर 68 फीसदी कर दिया है. पिछली कैबिनेट में 5 एससी, 1 एसटी, 7 ओबीसी, 1 अल्पसंख्यक और 11 अन्य जातियों के विधायक मंत्री थे. वहीं, इस बार ओबीसी सात से बढ़कर 11 मंत्री हो गए हैं तो 5 एससी, 1 एसटी और 8 अन्य जातियों के मंत्री है. इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय से एक अमजद शेख को कैबिनेट में जगह मिली है. 2014 में चंद्रबाबू नायडू सरकार में 13 उच्च जाति के मंत्री थे तो दलित और ओबीसी 12 थे.
कैबिनेट पुनर्गठन के जरिए मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 2024 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के सियासी समीकरण को साधने के लिए किया है. इसीलिए आंध्र प्रदेश के जातीय समीकरण के लिहाज से कैबिनेट गठित की गई है. इसीलिए महिलाओं की संख्या को बढ़ाने के साथ-साथ ओबीसी समुदाय को भी तवज्जो दी गई है. चंद्रबाबू नायडू की कैबिनेट में कम्मा समुदाय का प्रभुत्व था, लेकिन जगन रेड्डी की कैबिनेट में इस समुदाय को जगह नहीं मिली. ब्राह्मण, वैश्य और क्षत्रीय समाज को भी कैबिनेट में जगह नहीं मिल सकी है. ये वो समुदाय है, जो जगन की पार्टी के कोर वोटबैंक नहीं माने जाते.
आंध्र प्रदेश में जगन की सरकार का कार्यकाल आधे से ज्यादा बीत चुका है. ऐसे में शायद वे अपने विधायकों और मंत्रियों को मैसेज देना चाहते हैं कि अगर जनता के लिए काम नहीं किया जाएगा तो किसी को भी बदला जा सकता है. माना जा रहा है कि जगन मोहन रेड्डी ने अपने कैबिनेट के 13 मंत्रियों को बदलकर अपने मंत्रियों और विधायकों को मैसेज दिया है कि वह निर्विवाद नेता हैं और पार्टी में असंतोष की कोई गुंजाइश नहीं है.
वाईएसआर कांग्रेस के सभी विधायक और मंत्री जानते हैं कि जगन की कड़ी मेहनत की वजह से ही पार्टी को जीत मिली है. मई 2019 में शपथ लेने के दौरान उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि विधायकों और मंत्रियों को अपने पदों को हल्के में नहीं लेना चाहिए. ऐसे में उन्होंने अपने कार्यकाल के पौने तीन साल के बाद दोबारा से मंत्रिमंडल का गठन किया है. जगन कैबिनेट में जिन पुराने वफादार नेता, जिन्हें फर्स्ट कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई, उन्हें अबकी बार मंत्री बनाया गया है.
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