भारत
चुनावों की गर्मी के बीच पेगासस का जिन्न फिर बोतल से निकला, बजट सत्र में हंगामे के आसार
jantaserishta.com
30 Jan 2022 3:38 AM GMT
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नई दिल्ली: संसद का बजट सत्र हंगामेदार रह सकता है। इसका कारण है न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट, जिसमें मोदी सरकार पर पेगासस स्पाइवेयर इजराइल से डिफेंस डील के तहत खरीदने का दावा किया गया है। विपक्ष लगातार इसको लेकर सरकार पर आरोप लगाता रहा है। विपक्ष ने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर देशद्रोही होने का तक का आरोप लगाया है।
सरकार ने फिलहाल इन आरोपों पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पास लंबित है, जिसने पहले ही जांच का आदेश दिया है। ऐसे में सरकार इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया देने के मूड में नहीं है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर देशद्रोही होने का आरोप लगाने के लिए तुरंत रिपोर्ट को हाथों हाथ लिया। उन्होंने कहा, "मोदी सरकार ने हमारे प्राथमिक लोकतांत्रिक संस्थानों की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा। राजनेता, सार्वजनिक और सरकारी अधिकारी, विपक्षी नेता, सशस्त्र बल, न्यायपालिका सभी को इन फोन-टैपिंग द्वारा निशाना बनाया गया। यह देशद्रोह है।"
बजट सत्र की पूर्व संध्या पर आने वाले अमेरिकी दैनिक में दावे को लेकर संसद में इस मुद्दे पर नए सिरे से टकराव देखने को मिल सकता है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार ने विपक्षी नेताओं को टारगेट करने के लिए इजरायली निगरानी उपकरण के अवैध उपयोग के आरोपों की जांच की मांग को रोक दिया था। उनके बयान से संसद में हंगामे के आसार दिख रहे हैं।
भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की तरफ से संसद में बयान दिया गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ के साथ सरकार ने कोई सौदा या खरीदारी नहीं की है। इधर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट साफ तौर पर इस खरीदारी का दावा कर रही है। भारत में कई लोगों के फोन टैप और हैक किए जाने की खबरें पहले ही आ चुकी है। विपक्षी दलों की आलोचनाओं के बीच केंद्रीय मंत्री वी के सिंह ने न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट की आलोचना की है। उन्होंने ट्वीट कर सवाल उठाया है, "क्या हम न्यूयॉर्क टाइम्स पर भरोसा कर सकते हैं। वो तो सुपारी मीडिया के रूप में जाने जाते हैं?"
पेगासस से जुड़ी खबर जब पहली बार सामने आई थी तब कंपनी ने यह कहा था कि वह दुनिया भर में केवल सरकार और सरकारी एजेंसियों को ही अपना सॉफ्टवेयर बेचती है। कंपनी ने भारत को सॉफ्टवेयर बेचा है या नहीं इसकी जानकारी नहीं दी गई। भारत की सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के बारे में अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक विस्तृत खोजी रिपोर्ट छापी है जिसमें दुनिया भर में इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल का ब्यौरा दिया गया है। रिपोर्ट बताती है कि भारत की मौजूदा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी यह सॉफ्टवेयर खरीदा था।
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारत और इजराइल के बीच करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर का एक रक्षा खरीद समझौता हुआ था। इस सौदे के केंद्र में एक मिसाइल डिफेंस सिस्टम और पेगासस सॉफ्टवेयर था। रिपोर्ट का यह भी दावा है कि इस खरीदारी पर समझौते के बाद भारत और इजराइल के बीच ऐतिहासिक रूप से नजदीकियां बढ़ गईं और भारत ने संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद में इजराइल के उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें फलस्तीन के मानवाधिकार संगठन को पर्यवेक्षक देश के दर्जे को खत्म करने की बात थी। इस तरह का रुख भारत ने पहली बार अपनाया था।
भारत और इजराइल के प्रधानमंत्रियों ने एक दूसरे के देश का दौरा भी किया था जो आमतौर पर बहुत कम ही होता है। अखबार में छपी रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों देशों के नेताओं के बीच यह गर्मजोशी इस पेगासस सॉफ्टवेयर के वजह से थी। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में पेगासस सॉफ्टवेयर ना सिर्फ भारत बल्कि अमेरिका, जर्मनी, ग्रीस, पोलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और उन तमाम देशों का जिक्र है जिन्होंने कथित रूप से यह सॉफ्टवेयर खरीदा।
पेगासस दुनिया भर में जासूसी के लिए कुख्यात है ज्यादातर देश इसका इस्तेमाल आतंकवाद और अपराध को रोकने में इस्तेमाल करने की बात कहते हैं। हालांकि ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जिनसे पता चलता है कि इसका इस्तेमाल सरकारें विरोधियों के दमन में भी करती हैं। इस सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी फोन तक पहुंचा जा सकता है और एप्पल जैसे फोन का सुरक्षा तंत्र भी इसे रोक पाने में नाकाम है। सरकारें इस सॉफ्टवेयर को अपने विरोधियों के खिलाफ भी कथित तौर पर इस्तेमाल करती हैं और इसी वजह से यह सॉफ्टवेयर दुनिया भर में कुख्यात है। पेगासस बनाने वाली कंपनी एनएसओ जासूसी वाली सॉफ्टवेयर बनाने के लिए पहले से ही जानी जाती है।
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