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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच सरकार का खजाना भर गया है. दरअसल, सभी अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए RBI ने केंद्र सरकार का खजाना भरने के लिए भारी भरकम रकम बतौर डिविडेंड देने का फैसला किया है. 2023-24 में 3 लाख करोड़ का मुनाफा कमाने वाले बैंकों के शानदार प्रदर्शन के चलते RBI ने केंद्र सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये (2,10,874 करोड़) का डिविडेंड देने का ऐलान किया है. RBI ने 22 मई को एक बयान में कहा कि ये डिविडेंड बिमल जालान समिति की सिफारिशों के अनुसार दिया जा रहा है, जो 26 अगस्त, 2019 को केंद्रीय बैंक द्वारा अपनाई गई थी. हर साल RBI निवेश से होने वाली डिविडेंड इनकम को केंद्र सरकार को एक निश्चित राशि के रूप में हस्तांतरित करता है. पिछले वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक ने केंद्र को डिविडेंड के तौर पर 87,416 करोड़ रुपये दिए थे.
लेकिन इस साल की राशि कुछ हद तक सबसे बड़ी है और वित्त वर्ष 23 की तुलना में 141% अधिक है. आप अंदाजा लगा सकते हैं आने वाली सरकार को इस डिविडेंड से कितनी मदद मिलेगी. इस राशि से सरकार को अपना वित्तीय घाटा कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही नई योजनाओं में खर्च करने में भी मदद मिलेगी. यही नहीं, इतनी बड़ी रकम मिलने से भारत सरकार को विनिवेश के लक्ष्य से चूक जाने के बाद रेवेन्यू कलेक्शन में आई कमी की भरपाई करने का मौका मिलेगा. इसके साथ ही सरकार की जनकल्याण योजनाओं के लिए पैसा जुटाना भी इस रकम के मिलने के बाद काफी हद तक आसान हो जाएगा.
कोटक महिंद्रा बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज का कहना है कि इस तरह के ऐतिहासिक डिविडेंड से वित्त वर्ष 25 में राजकोषीय घाटे में 0.4% की कमी आएगी. आगामी बजट में घोषित किए जा रहे कम उधार की गुंजाइश अब बॉन्ड बाजारों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान करेगी. IRCA की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा, '2.11 ट्रिलियन रुपये की राशि वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट में लाभांश और मुनाफे के तहत 1.5 ट्रिलियन रुपये के बजटीय आंकड़े से काफी अधिक है, जिसमें पीएसयू से लाभांश भी शामिल है. बजट से अधिक आरबीआई डिविडेंड वित्त वर्ष 2025 में भारत सरकार के संसाधन को बढ़ाने में मदद करेगी. इसके अलावा, आरबीआई बोर्ड ने आकस्मिक जोखिम बफर को पहले के 6% से बढ़ाकर 6.5% करने पर भी सहमति जताई है.
ये कदम आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच बेहतर तालमेल को दिखाता है. बता दें, RBI की तरफ से ये सरकार को दिए जाने वाला अब तक का रिकॉर्ड डिविडेंड है. 2023-24 में RBI ने सरकार को 87 हजार 416 करोड़ रुपये बतौर डिविडेंड ट्रांसफर किए गए थे. इसके पहले साल 2019 में सरकार को रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड RBI से मिला था. RBI अपनी सरप्लस इनकम से सरकार को डिविडेंड देती है. ये पैसा RBI निवेश और डॉलर को रखने के बाद वैल्यूएशन में हुई बढ़ोतरी से से कमाती है. इसके साथ ही करेंसी प्रिंट करने पर मिलने वाली फीस भी इसमें शामिल होती है.
नियमों के मुताबिक RBI को अपनी बैलेंस शीट का 5.5%-6.5% तक रकम CRB (Contingent Risk Buffer) के तौर पर रखना अनिवार्य है. आर्थिक गतिविधियों में 2022-23 के दौरान तेजी आने से CRB को बढ़ाकर 6 फीसदी कर दिया गया और इनमें तेजी जारी रहने पर इसके बाद 2023-24 में इसे बढ़ाकर साढ़े 6 फीसदी कर दिया गया. इसके अलावा RBI की सिक्योरिटीज घरेलू मार्केट और विदेशों में रखी होती हैं, जिनसे भी उसकी कमाई होती है. वैसे इस साल फॉरेन एक्सचेंज ट्रांजैक्शन से होने वाली आमदनी कम होने की आशंका है, क्योंकि 2022-23 के मुकाबले 2023-24 में RBI ने ज्यादा डॉलर नहीं बेचे थे. इस साल मार्च में RBI का फॉरेक्स रिजर्व 67 अरब डॉलर बढ़ा था. बढ़ते डिविडेंड के चलते वित्त मंत्रालय अपने बॉन्ड की बिक्री में कमी ला सकती है. फरवरी में आए अंतरिम बजट के मुताबिक 2024-25 के लिए भारत सरकार ने बॉन्ड के जरिए 14.13 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है.
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