ऊना. कोरोना संक्रमण और उससे पैदा हुए हालात ने आम आदमी का बुरा हाल कर रखा है. जाहिर तौर पर कोरोना महामारी का असर हेल्थवर्कर और पुलिसकर्मियों जैसे फ्रंटलाइन वर्कर पर भी पड़ा है. पर जरा सोचिए कि अगर इन परिस्थितियों में डॉक्टर और नर्स जैसे जीवट वाले लोग अपना काम सही तरीके से न कर पाएं तो मरीजों का क्या होगा. शुक्र है कि हेल्थवर्कर खुद को हर हाल में संतुलित रखते हुए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं लोगों को इस महामारी से बचाने की. राज्य सरकारें भी कोविड गाइडलाइन जारी कर लोगों को हिदायतें दे रही हैं. पुलिसकर्मियों की जिम्मेवारी है कि वे इस लॉकडाउन का पालन सही तरीके से करवाएं. पर पुलिसकर्मी कई बार ऐसी असावधानियां बरत रहे हैं कि उनकी निष्ठा और ट्रेनिंग पर संदेह होने लगता है. ताजा मामला ऊना के गगरेट पुलिस का है, जिसने लॉकडाउन के दौरान एक स्कूटी वाले का चालान किया है. चालान के पेपर में उसने बेल्ट न लगाने को चालान का कारण बताया है.
दरअसल, गगरेट पुलिस ने काटे गए चालान में 4 ऑफेंस दिखाए हैं. पहला ऑफेंस है चालक का बिना हेलमेट होना. दूसरे ऑफेंस के तहत बताया गया है कि स्कूटी चालक ने सीट बेल्ट नहीं लगा रखी थी. काटे गए चालान के मुताबिक तीसरा ऑफेंस खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना है और चौथा पुलिसकर्मी के रोकने पर भी चालक का स्कूटी न रोकना.
यह सही है कि इस लॉकडाउन के दौरान हर नागरिक को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए और पुलिसवालों को भी चाहिए कि वे लॉकडाउन का पालन सख्ती से करवाएं. लेकिन जिस स्कूटी चालक का चालान काटा गया है, वह मेडिकल पेशे से जुड़ा है और सरकार की ओर से इस लॉकडाउन में इस पेशे को छूट दी गई है. सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर कोई भी चालक स्कूटी पर सीट बेल्ट कैसे लगाए? जाहिर है इस तरह के चालान से पुलिस की मंशा और कार्यशैली दोनों पर सवाल उठते हैं.
हालांकि पुलिस का दावा है कि ये मोबाइल ऐप से काटा गया चालान है. चूक से सीट बेल्ट का ऑप्शन क्लिक हो गया. उधर, डीएसपी अंब सृष्टि पांडे ने बताया कि आजकल चालान मोबाइल एप से होते हैं, तो जब ऑप्शन सेलेक्ट किया तो साथ में सीट बेल्ट का ऑप्शन भी क्लिक हो गया होगा, लेकिन कोर्ट में इसे सही करके ही भेजा गया है.