भारत

इंडिया गेट के नीचे बनी है अमर जवान ज्योति, यहां जानें पूरा इतिहास

jantaserishta.com
21 Jan 2022 8:58 AM GMT
इंडिया गेट के नीचे बनी है अमर जवान ज्योति, यहां जानें पूरा इतिहास
x

Amar Jawan Jyoti History: इंडिया गेट पर स्थापित अमर जवान ज्योति की मशाल की लौ नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ में मिला जाएगी. कांग्रेस तमाम विपक्ष का आरोप था कि 5 दशकों से जल रही अमर जवान ज्योति को बुझाया जा रहा है. हालांकि, अब सरकार ने सफाई दी है कि ज्योति की लौ को बुझाया नहीं जा रहा है, बल्कि नेशनल वॉर मेमोरियल की लौ के साथ मर्ज किया जा रहा है.

लेकिन क्या आप इस अमर जवान ज्योति की कहानी जानते हैं? अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं. लेकिन उससे पहले इंडिया गेट का इतिहास जानना भी जरूरी है.
इंडिया गेट का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था. इसे ब्रिटिश सरकार ने 1914 से 1921 के बीच जान गंवाने वाले ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिकों की याद में बनाया गया था. दरअसल, 1914 से 1918 तक प्रथम विश्व युद्ध में और 1919 में तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में 80 हजार से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. इन्हें ही श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया था.
इंडिया गेट को एडविन लुटियन ने डिजाइन किया था. इसकी आधारशिला 10 फरवरी 1921 को रखी गई थी. ये 10 साल में बनकर तैयार हुआ था. 12 फरवरी 1931 को तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इर्विन ने इंडिया गेट का उद्घाटन किया था.
अमर जवान ज्योति का इतिहास क्या है?
दिसंबर 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. ये युद्ध 3 से 16 दिसंबर तक चला था. इस युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े थे. हालांकि, इसमें कई भारतीय जवान भी शहीद हुए थे.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 के युद्ध में भारतीय सेना के 3,843 जवान शहीद हुए थे. इन्हीं शहीदों की याद में अमर जवान ज्योति जलाने का फैसला हुआ.
इसके बाद इंडिया गेट के नीचे एक काले रंग का स्मारक बनाया गया, जिस पर अमर जवान लिखा है. इस पर L1A1 सेल्फ लोडिंग राइफल भी रखी हुई है. इसी राइफल पर एक सैनिक हेलमेट भी लगा है.
इस स्मारक का उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. स्मारक में एक ज्योति भी जल रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2006 तक इस ज्योति को जलाने के लिए एलपीजी का इस्तेमाल होता था. लेकिन बाद में इसमें सीएनजी का इस्तेमाल होने लगा.
अब ये ज्योति नेशनल वॉर मेमोरियल में जलाई जाएगी. नेशनल वॉर मेमोरियल इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर ही बना है. यहां भी ज्योति जल रही है. ये मेमोरियल 40 एकड़ में बना है. इसकी दीवारों पर शहीद जवानों के नाम लिखे हैं.


Next Story