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एफआईआर में आरोप, नाबालिग पहलवान पर कुश्ती संघ प्रमुख ने कई बार किया यौन अत्याचार
jantaserishta.com
2 Jun 2023 8:58 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| दिल्ली पुलिस के पास दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) प्रमुख बृजभूषण सिंह ने एक नाबालिग पहलवान पर कई बार यौन अत्याचार किए। एफआईआर में प्रताड़ना के आरोपों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
एफआईआर में 17 साल की एक पहलवान ने कहा है, सर, मैं अपने बल-बूते पर यहां तक आई हूं, आगे भी मेहनत करके आगे तक जाऊंगी। उसने आरोप लगाया है कि डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह ने उसके साथ फोटो लेने के बहाने उसे कसकर पकड़ रखा था।
प्राथमिकी के अनुसार, लड़की ने कहा कि उसने उसे अपनी ओर खींचा और उसके कंधे पर बहुत जोर से दबाया और फिर जानबूझकर अपना हाथ उसके कंधे के नीचे खिसका दिया और उसके स्तनों पर हाथ फेरते हुए कहा, तू मेरे को सपोर्ट कर, मैं तेरे को सपोर्ट करूंगा। मेरे साथ टच में रहना।
नाबालिग के पिता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, घटना 2022 की है, जब वह 16 साल की थी। उसने राष्ट्रीय खेलों में सब जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप में भाग लिया था। प्राथमिकी में आगे उल्लेख किया गया है कि जब नाबालिग ने सिंह का कड़ा विरोध किया, तो उसने उससे कहा कि एशियाई चैम्पियनशिप के लिए जल्द ही ट्रायल होने वाले हैं, और चूंकि वह उसके साथ सहयोग नहीं कर रही है, इसलिए उसे आगामी ट्रायल में नतीजे भुगतने होंगे।
एफआईआर में कहा गया है, आरोपी ने मेरी बेटी को भी अपने कमरे में बुलाया। मेरी बेटी आरोपी के इशारे पर अपना करियर बर्बाद होने के दबाव में थी, और उसके कमरे में गई। आरोपी ने मेरी बेटी को अपनी ओर खींच लिया और उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संपर्क बनाने की कोशिश की। मेरी बेटी सहम गई और तुरंत आरोपी के चंगुल से खुद को छुड़ाकर कमरे से बाहर भाग गई।
शिकायतकर्ता ने अपनी बात साबित करने के लिए बताया कि मई 2022 में एशियाई चैंपियनशिप के लिए ट्रायल हो रहे थे जहां सिंह ने उसके साथ भेदभाव किया। ट्रायल्स में यह सामान्य प्रथा है कि जो भी एथलीट पिछले बाउट या राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतता है, उसे ट्रायल में वरीयता दी जाती है। मेरी बेटी को वरीयता देना तो दूर, उसके भार वर्ग के सभी मजबूत दावेदार/एथलीट को उसी के ग्रुप में डाल दिया गया।
एफआईआर में कहा गया है, उक्त ट्रायल पूरी तरह से प्रचलित प्रथा के विपरीत था जिसमें मजबूत एथलीटों को हमेशा अलग-अलग समूहों में रखा जाता है ताकि उनके पास ट्रायल में जगह हासिल करने का बेहतर मौका हो ताकि भारत का प्रतिनिधित्व सबसे मजबूत एथलीटों द्वारा किया जा सके।
प्राथमिकी में कहा गया है, इसके अलावा, मेरी बेटी के ट्रायल के दौरान स्थापित मानदंडों का उल्लंघन हुआ। यह कहा गया था कि रेफरी या मैट चेयरमैन उस राज्य से नहीं होंगे जिस राज्य के एथलीट हैं। हालांकि, उसके मामले में प्रतिद्वंद्वी एथलीट दिल्ली से थी और रेफरी तथा मैट चेयरमैन दोनों दिल्ली से ही थे, जो निर्धारित दिशानिर्देशों का खंडन करता है।
प्राथमिकी के अनुसार, इस भेदभावपूर्ण व्यवहार पर मेरी बेटी ने तुरंत आपत्ति जताई। लेकिन उसे अल्टीमेटम दिया गया कि या तो वह मैच जारी रखे या विरोधी एथलीट को वाकओवर दे दिया जाएगा। एफआईआर में कहा गया है कि उसके ट्रायल के दौरान, रेफरी और मैट चेयरमैन ने जानबूझकर उसके प्वाइंट काटे। प्राथमिकी में कहा गया है कि जब भी वह कोई अंक हासिल करती थी, तो वे दावा करते थे कि घड़ी पहले ही बंद हो चुकी थी, और उसे प्वाइंट नहीं देते थे, हालांकि ऐसा नहीं था।
शिकायतकर्ता ने प्राथमिकी में दावा किया, ट्रायल के दौरान मैचों को रिकॉर्ड किया जाना था, फिर भी उसके परीक्षण के दौरान, रिकॉडिर्ंग को बार-बार चालू और बंद करके हेरफेर किया गया था। यह काम आरोपी के निर्देश पर किया गया था, क्योंकि मेरी बेटी ने उसके अवांछित यौनाचारों को अस्वीकार कर दिया था।
एफआईआर में आगे आरोप लगाया गया है, जब मेरी बेटी लखनऊ ट्रायल में प्रैक्टिस कर रही थी, तब आरोपी फिर से मेरी बेटी के पास आया और उससे कहा 'पर्सनली आकर मिलना'। उसने आरोपी को साफ-साफ कहा कि वह पहले भी कह चुकी है कि वह किसी तरह के शारीरिक संबंध में बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं है और उसे उसका पीछा करना बंद कर देना चाहिए तथा ऐसी टिप्पणी करने से बचना चाहिए जिसमें यौन इशारे छिपे हों और अश्लील तरीके से कही गई हो।
सिंह के खिलाफ कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 354 (महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 34 (सामान्य मंशा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। उसके खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
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