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BIG BREAKING: प्राइवेट पार्ट नाबालिग को दिखाने का आरोप, आरोपी को बड़ा झटका

jantaserishta.com
22 July 2024 12:05 PM GMT
BIG BREAKING: प्राइवेट पार्ट नाबालिग को दिखाने का आरोप, आरोपी को बड़ा झटका
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सांकेतिक तस्वीर

अपनी धोती उठाकर और निजी अंग नाबालिग बच्ची को दिखाने के आरोपी को हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है।
तिरुवनंतपुरम: अपनी धोती उठाकर और निजी अंग नाबालिग बच्ची को दिखाने के आरोपी को केरल हाईकोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। उच्च न्यायालय का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह नाबालिग के यौन उत्पीड़न के बराबर है। साथ ही कहा कि ये POCSO यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत दंडनीय हो सकता है।
आरोपी की तरफ से दाखिल याचिका पर जस्टिस ए बदरुद्दीन सुनवाई कर रहे थे। बार एंड बेंच के अनुसार, कोर्ट ने कहा, 'प्राइवेट पार्ट दिखाने के लिए धोती उठाना और फिर उसे पीड़िता से नापने के लिए कहने के आरोप हैं। प्रथम दृष्टया ये POCSO की धारा 11(1) के साथ-साथ IPC की धारा 509 को भी आकर्षित कर सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि POCSO और IPC, दोनों में ही यौन इरादा होना जरूरी है।
कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि यह प्रथम दृष्टया है और दोष को लेकर फैसला ट्रायल के दौरान किया जाएगा।
याचिकाकर्ता पर अपनी धोती उठाकर नाबालिग को दिखाने और उसे अपना निजी अंग नापने के लिए कहने के आरोप हैं। इस घटना की जानकारी नाबालिग ने तुरंत अपनी मां को दी थी, लेकिन तब तक कथित तौर पर याचिकाकर्ता को घटनास्थल से भागते हुए देखा गया। इसके बाद याचिकाकर्ता के खइलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू हुई। हालांकि, याचिकाकर्ता ने विशेष अदालत से मामले से मुक्त होने करने की अपील की थी, लेकिन उसे राहत नहीं मिली।
इसके बाद उसने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। याचिका के जरिए उसने विशेष अदालत के फैसले को रद्द करने और उसके खिलाफ जारी सभी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी। नाबालिग के बयान सुनने के बाद कोर्ट का मानना था कि उसका बर्ताव POCSO और IPC के तहत यौन उत्पीड़न का हो सकता है। ऐसे में कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और विशेष न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा।
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