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दारुल उलूम के खिलाफ भ्रमित फतवा जारी करने का लगा आरोप, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उठाया ये कदम

jantaserishta.com
16 Jan 2022 10:50 AM GMT
दारुल उलूम के खिलाफ भ्रमित फतवा जारी करने का लगा आरोप, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उठाया ये कदम
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नई दिल्ली: फतवा जारी करने और बच्चों के मुद्दे पर भ्रमित करने वाले बयान देने पर दारुल उलूम देवबंद के खिलाफ नोटिस जारी किया गया है. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने नोटिस जारी सहारनपुर के डीएम को कार्रवाई के लिए कहा है. नोटिस में कहा गया है कि दारुल-उलूम देवबंद अपनी वेबसाइट पर फतवा जारी कर रहा है या भ्रामक बयान दे रहा है जो गलत है. बच्चों और उनकी शिक्षा से संबंधित मामलों पर दारुल उलूम के खिलाफ शिकायत के बाद नोटिस जारी किया गया है.

सहारनपुर के डीएम को दारुल-उलूम देवबंद की वेबसाइट की जांच करने, भ्रामक सामग्री हटाने और भारत के संविधान, भारतीय दंड संहिता, किशोर न्याय अधिनियम 2015 और शिक्षा के अधिकार के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई करने के लिए कहा है. मामले में 10 दिन के भीतर रिपोर्ट भी मांगी गई है.
एक फतवे में दारुल उलूम देवबंद ने कहा है कि बच्चा गोद लेना गैरकानूनी नहीं है, बल्कि सिर्फ बच्चे को गोद लेने से वास्तविक बच्चे का कानून उस पर लागू नहीं होगा. यह आवश्यक होगा कि मैच्योर होने के बाद शरिया पर्दा का पालन करे. कहा गया है कि गोद लिए गए बच्चे को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा और बच्चा किसी भी मामले में उत्तराधिकारी नहीं होगा.
आयोग की ओर से नोटिस में नोट किया गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए लिंक में ऐसे ही ऐसे फतवे हैं जो स्कूल बुक सिलेबस, कॉलेज यूनिफॉर्म, गैर-इस्लामिक माहौल में बच्चों की शिक्षा, लड़कियों की उच्च मदरसा शिक्षा, शारीरिक दंड आदि से संबंधित हैं. प्रश्नों के उत्तर की जांच करने के बाद यह देखा गया है कि बच्चों के अधिकारों की खुलेआम अवहेलना की जा रही है. उदाहरण के लिए, एक उत्तर में यह कहा गया है कि शिक्षकों को बच्चों को पीटने की अनुमति है. बता दें कि आरटीई अधिनियम के तहत स्कूलों में शारीरिक दंड निषिद्ध है.
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