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इलाहाबाद हाईकोर्ट न्यूनतम वेतन से कम भुगतान पर हुए सख्त, राज्य सरकार को जारी किया यह आदेश

Deepa Sahu
10 Oct 2021 6:30 PM GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट न्यूनतम वेतन से कम भुगतान पर हुए सख्त, राज्य सरकार को जारी किया यह आदेश
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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने न्यूनतम वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर अहम फैसला सुनाया है.

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने न्यूनतम वेतन भुगतान की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर अहम फैसला सुनाया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि यह समझ से परे कि राज्य सरकार पिछले 20 साल से 450 रुपये प्रतिमाह देकर जबरन श्रम लेकर शोषण कैसे कर सकती है. सरकारी वकील ने कहा कि 1 जुलाई 92 के शासनादेश के तहत यह कार्य लिया जा रहा है. यह माना कि न्यूनतम वेतन नहीं दिया जा रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि सरकार की बात मान ली जाये तो कोर्ट भी दैनिक कर्मी का लंबे समय तक शोषित होने की दोषी होगी.

हाईकोर्ट ने वेतन भुगतान की मांग पर दाखिल याचिका पर कहा कि 450 रुपये प्रतिमाह वेतन देना जबरन मजदूरी कराना है. यह संविधान के अनुच्छेद 23 का खुला उल्लंघन है. कोर्ट ने याची को 15 जून 2001 से दी गई राशि की कटौती कर न्यूनतम वेतन का भुगतान करने का राज्य सरकार को निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने इसके साथ ही 2016‌ की नियमावली के अंतर्गत डायरेक्टर एमडी आई हास्पिटल प्रयागराज को चार माह में सेवा नियमित करने पर निर्णय लेने का भी आदेश दिया है. यह आदेश
जस्टिस पंकज भाटिया ने तुफैल अहमद अंसारी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
याची कहार के कार्य के लिए 2001 से कार्यरत है. सेवा नियमित करने की मांग में याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कर्नाटक राज्य बनाम उमा देवी केस के फैसले के तहत याची सेवा नियमित किये जाने का हकदार है. सेवा नियमावली 2016 में 31 दिसंबर 2001 के पहले से कार्यरत दैनिक कर्मचारियों को नियमित होने का अधिकार है. सरकार इस संबंध में चार माह में निर्णय ले. तब तक न्यूनतम वेतन भुगतान किया जाए.


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