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अखिलेश यादव ने घेरा, बोले- ये सब बेच रहे हैं, फिर हमारे अधिकारों का क्या होगा
jantaserishta.com
10 Oct 2021 9:13 AM GMT

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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आज पश्चिमी यूपी के दौरे पर हैं. अखिलेश सहारनपुर पहुंचे, जहां उन्होंने स्वर्गीय चौधरी यशपाल की 100वीं जयंती पर आयोजित समारोह में हिस्सा लिया. इस दौरान अखिलेश ने बीजेपी और योगी सरकार को किसानों से लेकर महंगाई तक कई मुद्दों पर घेरा.
अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी पॉवर प्लांट के नाम नहीं ले पाते हैं और जब वो नाम नहीं ले पाते हैं तो बिजली कैसे बनाएंगे.
अखिलेश ने कहा, पहले हवाई जहाज बेच दिए. एयरपोर्ट बेच दिए. अब ट्रेनें भी बिक रहीं हैं और बाद में स्टेशन भी बिक जाएंगे. सब चीजें बेच दे रहे हैं और जब सब बिक जाएगा तो संविधान में बाबा साहब ने हमें जो अधिकार दिए हैं, उनका क्या होगा. कोई सोच सकता था कि हवाई जहाज बिक जाएंगे, पानी के जहाज जहां खड़े होते थे, वो बिक गया. याद करना अंग्रेज कारोबार करने आए थे. जो ईस्ट इंडिया कंपनी आई थी वो 2-3 चीजों का कारोबार करती थी. धीरे-धीरे कारोबार बढ़ा दिया और बाद में एक कानून इंग्लैंड में पास किया और जो कारोबार करने आई थी कंपनी वो सरकार बन गई. और देखो बीजेपी का खेल, एक-एक करके प्राइवेट कंपनी को बेच रहे हैं. हो सकता है कि एक दिन ये भी चले जाएं और कहें कि हम सरकार नहीं चलाएंगे. ये भी आउटसोर्सिंग से चलेगी. अखिलेश ने कहा, ये लोग सब बेच देंगे क्योंकि इन्हें कुर्सी चाहिए.
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के नाम बदलने पर तंज भी कसा. उन्होंने कहा, ये नाम बदलने वाले लोग हैं. अगर कोई मुख्यमंत्री जी से मिलने जाएगा तो जरूरी नहीं कि जब वो लौटे तो उसका वही नाम हो. ये नाम बदलकर इतिहास बदलना चाहते हैं. जो नाम बदलेगा, जो इतिहास बदलेगा, चुनाव आएगा तो उनकी सरकार बदल जाएगी.
अखिलेश ने कहा, जो लोग कुर्सी पर बैठे हैं, उनके लोगों का कारनामा लखीमपुर में देखा. जहां किसानों को कुचल दिया गया. गाड़ी के टायरों से कुचल दिया गया. किसानों को तो कुचला ही है, लेकिन उसके साथ-साथ कानून को भी कुचलने को तैयार हैं. जो लोग कानून को कुचल सकते हैं, किसान को कुचल सकते हैं, उन्हें संविधान को कुचलने में देर नहीं लगेगी.
उन्होंने कहा, किसानों को मवाली कहा जा रहा है. इनका बस चले तो ये आतंकवादी कह दें आपको. बीजेपी ने आपको कितना ही अपमानित किया होगा, लेकिन वो भी अपने संघर्ष पर डटे हुए हैं कि जब तक तीन कानून वापस नहीं होंगे, तब तक नहीं हटेंगे. यही लोकतंत्र है कि हम गद्दी पर बैठाना जानते हैं तो उतारना भी जानते हैं.
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