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वायु प्रदूषण का असर शहरों और गांवों पर समान रूप से पड़ता

Sonam
17 July 2023 6:32 AM GMT
वायु प्रदूषण का असर शहरों और गांवों पर समान रूप से पड़ता
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वैज्ञानिकों ने विश्लेषण के बाद पता लगाया है कि वायु प्रदूषण गांवों और शहरों को लगभग समान रूप से प्रभावित करता है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण निधि केवल शहरी क्षेत्र के लिए है। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के बाद शहरवासियों की तुलना में ग्रामीणों के जीवनकाल की प्रत्याशा करीब नौ माह कम हो जाती है।

वर्ष 2022 में सबसे जहरीले वायु प्रदूषक अल्ट्राफाइन पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 का वार्षिक औसत ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी क्षेत्रों जितना ही खराब था। यह विश्लेषण गैर लाभकारी क्लाइमेट ट्रेंड्स ने आईआईटी दिल्ली के वैज्ञानिकों से उपग्रह आधारित डाटा के आधार पर किया है। विश्लेषण के अनुसार जब जहरीले प्रदूषकों के संपर्क में आने के कारण जीवनकाल खोने की बात आती है तो ग्रामीण आबादी शहरी आबादी की तुलना में अधिक पीड़ित होती है।

शहरवासियों ने खुद को ढाला

जलवायु रुझान विश्लेषण के अनुसार, 2022 में ग्रामीण क्षेत्रों में औसत वार्षिक पीएम 2.5 स्तर 46.4 माइक्रोग्राम था, जो शहरी स्तर 46.8 माइक्रोग्राम से थोड़ा कम था। इसका राष्ट्रीय औसत 40 माइक्रोग्राम है। शहरी क्षेत्र के लोगों का शरीर अन्य प्रकार के प्रदूषकों को बर्दाशत करके प्रदूषण सहने की क्षमता के अनुरूप खुद को ढाल लेता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नहीं होता।

योजना का नहीं दिखा असर

इसके निवारण के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना (एनसीएपी) 2019 में घोषित की गई थी। एनसीएपी को 2024 तक पीएम 2.5 और पीएम 10 में 20-30 % की कमी के लक्ष्य के साथ लॉन्च किया गया था, लेकिन अपेक्षानुसार इसके परिणाम नहीं आए है। अब तक इसके तहत मुख्य रूप से 131 शहरों के लिए 9 हजार करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कोई धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई है।

क्या कहते हैं आंकड़े

-एक हालिया अध्ययन में बताया गया है कि अभी भी 47 प्रतिशत आबादी वायु गुणवत्ता नेटवर्क के बाहर रहती है, जबकि 62 प्रतिशत लोगों के पास स्थानीय वायु गुणवत्ता सूचकांक पर दैनिक अलर्ट तक नहीं पहुंच पाता।

-वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के कारण ग्रामीण औसतन 5 साल 2 माह से अधिक का जीवनकाल खो देते हैं जबकि शहर के लोग लगभग 4 साल 5 महीने की जीवन अवधि खो देते हैं।

-उत्तर प्रदेश में ग्रामीणों के जीवनकाल में 8 साल से अधिक की हानि दर्ज की गई है, जबकि बिहार, पश्चिम-बंगाल और हरियाणा के ग्रामीणों को औसतन 7 साल से अधिक का नुकसान हुआ। पहाड़ों में कोई खास असर नहीं पड़ा है।

Sonam

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