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वायु सेना का '44 स्क्वोड्रन' चंडीगढ़ में मनाएगा हीरक जयंती

jantaserishta.com
22 April 2023 7:07 AM GMT
वायु सेना का 44 स्क्वोड्रन चंडीगढ़ में मनाएगा हीरक जयंती
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चंडीगढ़ (आईएएनएस)| भारतीय वायु सेना का '44 स्क्वोड्रन' इस साल चंडीगढ़ में अपनी हीरक जयंती मनाएगा जिसे दो साल पहले महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था। वायु सेना ने शनिवार को एक बयान में बताया कि स्क्वाड्रन का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास आधुनिक भारत के सैन्य इतिहास और सैन्य कूटनीति का केलिडोस्कोप है। यह धैर्य, साहस, समर्पण और पेशेवराना कहानियों से भरा हुआ है, जो भारतीय वायुसेना को परिभाषित करती हैं।
स्क्वाड्रन का गठन 6 अप्रैल 1961 को किया गया था और यह एएन-12 विमानों से लैस था। इसने 1985 तक एन-12 विमानों का संचालन किया। मार्च 1985 में यह आईएल-76 विमान को भारत लेकर आया, जिसे औपचारिक रूप से 16 जून 1985 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। विमान आज भी सेवा में है।
स्क्वोड्रन का हीरक जयंती समारोह 2021 में होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उसे स्थगित करना पड़ा।
भारतीय वायुसेना में रणनीतिक एयरलिफ्ट का अग्रदूत यह स्क्वाड्रन राष्ट्र के हालिया इतिहास में सभी प्रमुख सैन्य और एचएडीआर (मानवीय सहायता एवं आपदा राहत) पहलों का एक हिस्सा रहा है, जिसने न केवल भारतीय वायुसेना और राष्ट्र को एक सामरिक बल से एक रणनीतिक बल के रूप में विकसित होते देखा, बल्कि भारतीय सेना की दूसरी शाखाओं की सैन्य शक्ति को भी बढ़ाया।
स्क्वाड्रन ने वसुधैव कुटुम्बकम की देश की सोच को ध्यान में रखते हुए देश के नागरिकों के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों को जरूरत के समय सहायता प्रदान की।
स्क्वाड्रन 'ऐष्टम यत्नेन साध्येत' के अपने आदर्श वाक्य पर कायम है, जिसका अर्थ है 'यत्नपूर्वक इष्ट को प्राप्त करना'। स्क्वाड्रन का नाम 1985 में बदलकर 'माइटी जेट्स' कर दिया गया।
स्क्वाड्रन उसे सौंपे गए किसी भी कार्य को करने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
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