दिल्ली। मेटरनिटी लीव पर चल रही एक महिला अफसर को जबरन नौकरी से निकालने का भारतीय वायुसेना ने आदेश दिया था लेकिन मामले में मिलिट्री कोर्ट के दखल देने के बाद उसने अपना फैसला बदल लिया. महिला अफसर ने एक प्रीमेच्योर बच्चे को जन्म दिया था. मामले के काउंसल कर्नल (रिटायर्ड) आईएस सिंह ने कहा कि यह मामला स्क्वॉड्रन लीडर अंजू गहलोत से जुड़ा है, जो भारतीय वायुसेना की फ्लाइंग ब्रांच में शॉर्ट सर्विस कमिशन्ड अफसर हैं. उन्होंने कहा, 'महिला अधिकारी ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल की प्रिंसिपल बेंच से गुहार लगाई थी. क्योंकि 23 दिसंबर 2021 को उसे मेडिकल ग्राउंड्स का हवाला देकर समय से पहले ही सर्विस से निकाला जा रहा था जबकि अगले साल 11 मार्च तक उसकी मेटरनिटी लीव मंजूरी की जा चुकी है.' काउंसल ने आगे कहा कि महिला अफसर एक लो मेडिकल कैटिगरी केस है, जिसने उसे फ्लाइंग ड्यूटी के लिए अनफिट बना दिया है. इसके बाद उन्हें सिर्फ ग्राउंड ड्यूटी दी गई है.
महिला अफसर ने इसी साल नवंबर में एक प्रीमेच्योर बच्चे को जन्म दिया था. काउंसल ने आगे कहा, "महिला अफसर को मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक ग्राउंड ड्यूटी पर ट्रांसफर करने के बजाय उसे इनवैलिडेटिंग मेडिकल बोर्ड (आईएमबी) भेज दिया गया और मेडिकल ग्राउंड्स के आधार पर नौकरी से निकालने का आदेश जारी किया गया. जबकि वायुसेना 11 मार्च 2022 तक उसकी मेटरनिटी लीव मंजूर कर चुकी है.''
इस बीच एयर हेडक्वॉटर्स ने 10 दिसंबर 2021 को आईएमबी की सुनवाई पर मुहर लगा दी और महिला के मेटरनिटी लीव पर होते हुए भी 23 दिसंबर को उसे सर्विस से हटाने का आदेश जारी कर दिया. महिला अफसर ने गुहार लगाई थी कि उसकी मेटरनिटी लीव खत्म होने तक उसे नौकरी से ना निकाला जाए, लेकिन इस गुहार को भी खारिज कर दिया गया. इसके बाद महिला ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (AFT) का दरवाजा खटखटाया. जस्टिस राजेंद्र मेनन (रिटायर्ड) की अगुआई वाली एएफटी ने महिला अफसर के रिलीज डेट बढ़ाए जाने पर सहमति जताते हुए वायुसेना को फिर से इस मामले पर विचार करने को कहा है. कोर्ट की दरख्वास्त मानते हुए वायुसेना ने कहा कि वह महिला को अगले साल उसकी मेटरनिटी लीव के पूरा होने के बाद रिलीज करेगी.