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एम्स ने पुलिस विभाग को लिखा पत्र, कारतूस और बंदूक मांगे

Nilmani Pal
26 July 2024 1:18 AM GMT
एम्स ने पुलिस विभाग को लिखा पत्र, कारतूस और बंदूक मांगे
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जानियो क्यों

गोरखपुर Gorakhpur। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस (एम्स), गोरखपुर ने छात्रों को पढ़ाने के लिए पुलिस विभाग Police Department से कारतूस मांगी है। पहली बार इस तरह की मांग आने से पुलिस उलझन में पड़ गई है। नियमानुसार बिना लाइसेंस के कारतूस देने की व्यवस्था नहीं है। पुलिस अफसरों का कहना है कि मुख्यालय से दिशा-निर्देश के बाद ही इस पर निर्णय लेंगे।

Gorakhpur AIIMS दरअसल, एम्स के फोरेंसिक विभाग को एमबीबीएस और पीजी के छात्रों की पढ़ाई के लिए कारतूस की जरूरत है। अलग-अलग बोर की कारतूस किसी व्यक्ति के शरीर को कैसे चोट पहुंचाती है। पढ़ाई के दौरान गोली लगने के एंगल और शरीर को होने वाले नुकसान की जानकारी दी जाती है। साथ ही गोली लगने के बाद घायल के इलाज की दिशा तय करने की व्यवहारिक जानकारी देनी होती है। ज्यादातर संस्थान खोखे और फायरिंग के दौरान निकले प्वाइंट से पढ़ाई पूरी कराते हैं। कुछ संस्थानों के पास ऐसी गन भी है जिनके लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती।

पुलिस विभाग को एक-एक कारतूस का हिसाब रखना होता है। पुलिस कर्मियों को उनके नाम से कारतूस आवंटित किया जाता है। जितने कारतूस दिए जाते हैं उसका लेखा-जोखा रखना होता है। कारतूस का इस्तेमाल करने के बाद नियमानुसार खोखा भी जमा करना होता है। वैध तरीके से ही कोई व्यक्ति या संस्था कारतूस रख सकती है। अगर किसी व्यक्ति या संस्था के पास लाइसेंसी असलहा नहीं है तो उनके पास मिलने वाला कारतूस अवैध हो जाएगा और आर्म्स एक्ट के दायरे में जाएगा जिसमें मुकदमा दर्ज करने का प्रावधान है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति बिना लाइसेंस के असलहा या कारतूस नहीं रखता है।

एसपी लाइन, कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा कि एम्स की तरफ से पढ़ाई में इस्तेमाल के लिए मौखिक रूप से कारतूस-खोखा की मांग की गई थी। कारतूस ऐसे किसी व्यक्ति या संस्था को नहीं दी जा सकती है। अगर लिखित तौर एम्स से डिमांड आती है तो मुख्यालय से इस पर दिशा-निर्देश लेकर उन्हें कारतूस उपलब्ध कराई जाएगी।


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