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मरीजों का सही वर्गीकरण करने में एम्स का इमरजेंसी सिस्टम सबसे बेहतर, अध्ययन से हुआ खुलासा
jantaserishta.com
23 Nov 2022 6:46 AM GMT
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नई दिल्ली (आईएएनएस)| एम्स वैसे तो अपने विशेष डॉक्टरों और विश्व स्तर की मेडिकल व्यवस्था के लिए मशहूर है। इसके अलावा एम्स की इमरजेंसी भी बड़ी कमाल की है। एम्स की इमरजेंसी में मरीजों को उनकी गंभीरता के आधार पर सटीक और ठीक तरह से बांटकर बेहतर इलाज की व्यवस्था है। जर्नल ऑफ इमरजेंसी ट्रामा में छपे अध्ययन में भी एम्स की इमरजेंसी की तारीफ की गई है और कहा गया है कि ऐसा इमरजेंसी सिस्टम अगर पूरे देश में लागू हो जाए तो मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। आपको बता दें कि एम्स अस्पताल के इमरजेंसी मेडिसन विभाग ने एक अध्ययन किया था। यह अध्ययन एम्स की इमरजेंसी विभाग में आने वाले 15,000 मरीजों पर किया गया। यह अध्ययन 2 जोन में मरीजों को बांटकर किया गया -- रेड जोन और येलो जोन में मरीजों को बांटा गया। रेड जोन में गंभीर लक्षण वाले मरीज रखे गए और यलो जोन में मध्यम लक्षण वाले मरीज। फिर पहले 24 घंटे में मृत्यु दर देखी गई। पाया गया कि जो मरीज रेड जोन यानी बहुत गंभीर लक्षण वाले मरीज थे, उनमें 10.31 फीसदी मरीजों की मौत पहले 24 घंटों में हो जाती है, येलो जोन मध्यम लक्षण वाले मरीजों में पहले 24 घंटे में मृत्यु दर 1 फीसदी से भी कम रही।
किए गए इस पूरे अध्ययन की बात करें तो 6303 मरीज रेड जोन और 7451 मरीज येलो जोन वाले इस अध्ययन में शामिल थे। अध्ययन करने वालों ने कहा कि इमरजेंसी में मरीजों का सही तरीके से रेड, येलो और ग्रीन जोन में वर्गीकरण कर हम बहुत गंभीर मरीजों को तुरंत इलाज दे सकते हैं और उनकी जान बचाई जा सकती है। हमारे अध्ययन में यलो जोन में मृत्यु दर काफी कम थी इसका मतलब साफ है कि मरीजों को उनकी गंभीरता के आधार पर सटीक और ठीक वर्गीकरण किया गया।
वैसे तो देश के बहुत सारे बड़े अस्पतालों में मरीज की गंभीरता को देखते हुए अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर मरीजों का इलाज किया जाता है, लेकिन कई बार कुछ अस्पतालों में मरीज की गंभीरता को ठीक प्रकार से नहीं जांचा परखा जाता। कभी-कभी बहुत गंभीर मरीज को इलाज की तुरंत जरूरत होती है और उसे मध्यम लक्षण वाली श्रेणी में रख दिया जाता है। इस कारण समय से इलाज ना मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है। इसलिए किसी भी इमरजेंसी में मरीजों की गंभीरता के आधार पर सही और सटीक वर्गीकरण करना बहुत जरूरी होता है। एम्स ने जो यह अध्ययन किया है उसके अनुसार उनके कर्मचारियों के बेहतर प्रशिक्षण की वजह से मरीजों का सही वर्गीकरण करना एम्स के कर्मचारियों को सबसे अलग बनाता है।
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