
सोर्स न्यूज़ - आज तक
2 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मनी की राजधानी बर्लिन में थे. यहां उन्होंने भारतीयों को संबोधित किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि जितना सस्ता डाटा भारत में है, वो बहुत से देशों के लिए अकल्पनीय है. ये पहली बार नहीं था जब पीएम मोदी ने भारत में सबसे सस्ता इंटरनेट होने की बात कही. इससे पहले अगस्त 2019 में पीएम जब बहरीन के दौरे पर थे, तब भी उन्होंने कहा था कि मोबाइल फोन और इंटरनेट भारत के सामान्य से सामान्य परिवार की पहुंच में है. दुनिया में सबसे सस्ता डेटा भारत में है.
बीजेपी अक्सर सस्ते इंटरनेट के लिए मोदी सरकार को श्रेय देती है. दिसंबर 2019 में तब के आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट किया था कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद से इंटरनेट डेटा की कीमत 22 गुना सस्ती हो गई है. 2014 से पहले तक भारत में एक जीबी डेटा की औसत कीमत 269 रुपये थी, लेकिन अब एक जीबी डेटा की औसत कीमत 54 रुपये के आसपास आ गई है. ये कीमत इससे पहले और कम थी, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की ओर से टैरिफ बढ़ाए जाने के बाद कीमत बढ़ गई है. इंटरनेट डेटा की बात इसलिए हो रही है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को 'डिजिटल इंडिया वीक' की शुरुआत की. ये कार्यक्रम 9 जुलाई तक चलेगा. ये कार्यक्रम डिजिटल इंडिया कैंपेन के 7 साल पूरे होने पर हो रहा है. इस कैंपेन का मकसद सभी लोगों को डिजिटल बनाना है. कुल मिलाकर हर व्यक्ति तक डिजिटल टेक्नोलॉजी पहुंचाना और भारत की डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ाना इसका मकसद है.
लेकिन, सरकार के ही आंकड़े बताते हैं कि भारत में अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जिनके पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है. और इंटरनेट की पहुंच लोगों के पास तब नहीं है, जब भारत सस्ता इंटरनेट देने वाले देशों में है.
ब्रिटेन की cable.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एक जीबी डेटा की औसत कीमत 0.68 डॉलर यानी लगभग 54 रुपये के आसपास है. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत में एक जीबी डेटा मात्र 0.05 डॉलर यानी लगभग 4 रुपये में मिल जाता है. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में भारत में एक जीबी डेटा की औसत कीमत 269 रुपये थी. 2015 में ये कीमत 226 रुपये हो गई. 2016 में 4G (LTE) आने के बाद एक जीबी डेटा की औसत कीमत 75.57 रुपये पर आ गई. 2020 तक एक जीबी डेटा की औसत कीमत 11 रुपये से भी कम हो गई.
लेकिन, ट्राई के ही आंकड़े बताते हैं कि सस्ता इंटरनेट होने के बाद भी भारत में हर 100 लोगों में से 60 लोगों तक ही इंटरनेट की पहुंच है. इसका मतलब हुआ कि 100 में से 40 ऐसे हैं, जिनके पास इंटरनेट नहीं है. गांवों में हालत बहुत खराब हैं. गांवों में हर 100 लोगों में से 37 के पास इंटरनेट है, जबकि शहर में 103 लोगों के पास इंटरनेट है. वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS 5) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 49% घरों में ही इंटरनेट कनेक्शन है. भारत में अभी भी 65 फीसदी से ज्यादा महिलाओं और लगभग 50 फीसदी पुरुषों ने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया ही नहीं है. NFHS के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 33% महिलाएं और 51% पुरुष ही ऐसे हैं, जिन्होंने कभी न कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है.
शहरों तक तो इंटरनेट पहुंच भी जा रहा है, लेकिन गांवों तक इंटरनेट नहीं पहुंच रहा है. NFHS के ही आंकड़े बताते हैं कि गांवों में 75% महिलाओं और 57% पुरुषों ने कभी इंटरनेट इस्तेमाल नहीं किया. वहीं, शहरों में 48% महिलाओं और 34% पुरुषों ने इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया.
ये सर्वे ये भी बताता है कि शादी करने वालों की तुलना में शादी नहीं करने वाले महिला और पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करने में आगे है. शादी करने वाली 29% महिलाएं और 48% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि इनकी तुलना में शादी नहीं करने वालीं 50% से ज्यादा महिलाएं और 57% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.
