नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार द्वारा बीते मानसून सत्र में किसानों के लिए पास किए गए तीन बिलों पर किसान संगठनों के विरोध के बीच बुधवार को बैठक हुई. इस बैठक में 30 किसान संगठन शामिल हुए हालांकि कृषि मंत्री की गैर-मौजूदगी के चलते किसान मीटिंग से बाहर आए. यह बैठक कृषि सचिव के साथ हो रही थी जबकि किसानोें की मांगी थी कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद हों. तोमर की गैर-मौजूदगी के चलते किसान नाराज हो गए और मंत्रालय के भीतर ही नारे लगाए और कृषि कानूनों के पन्ने फाड़े. उन्होंने यह भी कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा. किसान बिलों के पास होने के बाद ज्यादातर किसानों का मानना है कि उन्हें कॉर्पोरेट्स की दया पर छोड़ दिया जाएगा और कृषि थोक एपीएमसी मार्करों के जरिए उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलेगा.
किसान यूनियन के नेता ने कहा कि हम वहां हो रही चर्चा से संतुष्ट नहीं थे इसलिए हम वहां से बाहर आ गए, हम इन काले कानूनों को खत्म कराना चाहते हैं. सचिव ने कहा कि वह हमारी मांगों को आगे बढ़ाएंगे. एक अन्य नेता ने कहा कि हम वहां से बाहर आ गए क्योंकि वहां मंत्री नहीं थे. हम चाहते हैं कि इन कानूनों को वापस ले लिया जाए.
"We weren't satisfied with discussions so we walked out, we want these black laws to be scrapped. Secretary said he'll communicate our demands further," says a farmer union leader
— ANI (@ANI) October 14, 2020
"We walked out as no minister came for meeting. We want these laws to be taken back," says another https://t.co/yTaKY7qXKc pic.twitter.com/ZeCEGoVaFE