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कपास की खेती करने वाले सभी राज्यों के किसानों को कृषि विभाग ने दी ये सलाह

Nilmani Pal
10 May 2022 11:44 AM GMT
कपास की खेती करने वाले सभी राज्यों के किसानों को कृषि विभाग ने दी ये सलाह
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खरीफ सीजन लगभग शुरू होने वाला है, लेकिन कपास को लेकर काफी शांति है. सोयाबीन के बीज, बीज प्रसंस्करण आदि की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन कपास (Cotton) के बारे में कोई चर्चा नहीं है. इस साल अंतिम चरण में कपास को रिकॉर्ड रेट मिला है, जिसके चलते इस साल कपास के रकबे में बढ़ोतरी होने की संभावना है. लेकिन कपास पर पिंक बॉलवर्म कीट के बढ़ते प्रकोप से किसान (Farmer) परेशान हैं. यदि कपास को मौसम से पहले लगाया जाता है, तो यह अन्य फसलों को भी प्रभावित करेगा. पिंक बॉलवर्म या गुलाबी सुंडी किट न केवल फसलों को बल्कि खेत की भूमि को भी नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए कपास की पूर्व-मौसम रोपण को रोकने के लिए कपास के बीज की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है. किसान एक जून से बीज खरीद सकेंगे. कपास के बीज के लिए अभी किसानों को और इंतजार करना होगा.

मराठवाड़ा में किसान पहले कपास की बड़े पैमाने पर खेती करते थे, लेकिन पिछले पांच वर्षों से इसके रकबे में कमी आई है. कपास के फसलों पर कीटों का प्रभाव बढ़ने और कपास का सही भाव नहीं मिलने के चलते किसानों ने अपने फसल पैटर्न में बदलाव कर लिया था. इस साल रिकॉर्ड रेट मिलता देख कृषि विभाग ने कपास का रकबा बढ़ने की संभावना जताई है. इसिलए कृषि विभाग सतर्क रुख अपना रहा है और किसानों को सलाह दे रहा है कि कपास का सही मौसम आने पर ही बुआई करें. नहीं तो एक बार फिर से कपास की फसलों पर कीटों का प्रभाव पड़ेगा.

बॉलवर्म की बढ़ती घटनाओं के कारण 2017 में कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था. इसलिए 2018 और 2021 के बीच विभिन्न उपायों को लागू किया गया. पूर्व-मौसम कपास की खेती अन्य फसलों को भी प्रभावित करती है, इसलिए कृषि विभाग ने कपास के बीज को सीजन खत्म होने के बाद ही बाजार में उपलब्ध कराने की बात कही है ताकि प्री-सीजन कॉटन नहीं लगाया जा सके.

बीज उपलब्ध होने पर किसान तुरंत खेती करना शुरू कर देते हैं, इसलिए बीजों की आपूर्ति की अवधि निर्धारित की गई है. 1 से 10 मई तक वितरकों को बीज की आपूर्ति की जाएगी. 15 मई से वितरक खुदरा विक्रेताओं को आपूर्ति करेंगे, जबकि खुदरा विक्रेता 1 जून के बाद किसानों को बेचेंगे.

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