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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: इंडियन आर्मी में नेपाली गोरखा सैनिकों (Nepal Domicile Gurkhas) की अग्निवीर स्कीम के जरिए भर्ती जारी रहेगी. भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से गुरुवार को यह जानकारी दी गई है. दरअसल, नरेंद्र मोदी सरकार की सेना भर्ती में अग्निवीर स्कीम को लेकर नेपाल संतुष्ट नजर नहीं आ रहा है. ऐसे में भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की भर्ती की प्रक्रिया पर नेपाल ने पहले बातचीत करने के लिए कहा था. इसी वजह से भारतीय आर्मी की भर्ती प्रक्रिया के तहत बुटवल में होने जा रहे एक चयन राउंड को स्थगित कर दिया गया है.
मंगलवार को इस मामले में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने विदेश मंत्री नारायण खड़का और विदेशी मामलों पर अपने सलाहकार के साथ मीटिंग की. पीएम की मीटिंग के बाद बुधवार को नेपाल के विदेश मंत्री ने भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की और भर्ती को लेकर बातचीत की. ऐसा कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में भारतीय आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे की यात्रा के दौरान नेपाल की ओर से इस मुद्दे पर बात की जा सकती है.
राजधानी काठमांडू में बुधवार को नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़का ने भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात के दौरान अग्रिवीर स्कीम के तहत गोरखा सैनिकों की भर्ती का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि अगर नेपालियों को सिर्फ चार साल के लिए भर्ती किया जाएगा और पेंशन भी नहीं दी जाएगी तो हम इस बारे में पहले नेपाल के अन्य राजनीतिक दलों से चर्चा करेंगे.
इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री देउबा ने विदेश मंत्री खड़का और विदेशी मामलों के सलाहकार अरुण सुवेदी से मुलाकात की. इस दौरान विदेश मंत्री ने पीएम के सामने अग्निवीर भर्ती के तहत नेपाली युवाओं की भर्ती के बाद उनके भविष्य को लेकर चिंता जताई.
पीएम देउबा ने विदेश मंत्री से इस मामले के सभी मुद्दों को लेकर भारत से बातचीत करने के लिए कहा जिसके बाद बुधवार को विदेश मंत्री खड़का ने भारतीय राजदूत से मुलाकात की. दोनों ने इस मामले में बातचीत की. नेपाल की ओर से इस दौरान कहा गया कि अग्निवीर भर्ती को लेकर सरकार एक दो दिन में फैसला लेकर भारत को अपना पक्ष बता देगी.
सूत्रों की मानें तो इस मामले में प्रधानमंत्री देउबा विदेश मंत्री खड़का से भी नाराज हैं. दरअसल, भारत की ओर से नई तरह से नेपालियों की सेना में भर्ती को लेकर करीब दो महीने पहले पत्र भेजा गया था, जिस पर विदेश मंत्री ने कोई बात नहीं की. पीएम देउबा का मानना है कि करीब दो महीने पहले ये लेटर मिला तो इस मामले में अभी तक चर्चा और कुछ फैसला होना चाहिए था.
इस बीच गुरुवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत नेपाली युवाओं को भारतीय सेना में काफी लंबे समय से भर्ती कर रहा है और हम आगे भी अग्निपथ योजना के तहत नेपाली युवाओं को सेना में भर्ती करते रहेंगे. सूत्रों की मानें तो भारत इस से वाकिफ है कि नेपाल अग्निवीर योजना को लेकर संतुष्ट नहीं है और कुछ बदलाव चाहता है.
नेपाल के पूर्व विदेश मंत्री और सीपीएन-यूएमएल पार्टी के नेता इस बारे में कहा कि अगर भारत ने भर्ती प्रक्रिया में कुछ बदलाव किया था, तो पहले नेपाल से भी बातचीत करनी चाहिए थी. उन्होंने आगे कहा कि हमें चिंता है उन 75 फीसदी युवाओं की जो अग्निवीर योजना के तहत सिर्फ चार साल की भर्ती के बाद बेरोजगार हो जाएंगे.
साल 1947 से नेपाली गोरखाओं को भारतीय सेना में भर्ती किया जा रहा है. इसके पीछे की वजह नेपाल से भारत और ब्रिटेन की ओर से किया गया, एक त्रिपक्षीय समझौता है. जिसके तहत भारतीय और ब्रिटिश सेना पिछले 75 सालों से गोरखा सैनिकों को अपनी सेना में भर्ती किया जा रहा है. ऐसे में भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने अग्निपथ योजना का ऐलान कर दिया, जिसका असर नेपाल के उन युवाओं पर भी पड़ा जो भारतीय आर्मी की लिए तैयारी कर रहे थे.
कुछ समय पहले नेपाल की ओर से त्रिपक्षीय एग्रीमेंट में कुछ बदलाव करने की इच्छा जताई गई थी. नेपाल की ओर से कहा गया था कि ये समझौता त्रिपक्षीय की जगह नेपाल-भारत और नेपाल-ब्रिटेन के बीच अलग-अलग हो जाए. नेपाल की पिछली केपी शर्मा ओली की सरकार में विदेश तत्कालीन विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने यूके की तत्कालीन प्रधानमंत्री थेरेसा मे से बात भी की थी.
अग्निवीर योजना के तहत नौकरी का छोटा कार्यकाल और पेंशन न होने के मुद्दे को लेकर नेपाल के अधिकारी भारतीय आर्मी चीफ के सामने अपनी बात रखेंगे. बता दें कि भारतीय सेना के चीफ जरनल पांडे 4 सितंबर को नेपाल की राजधानी काठमांडू पहुंचेंगे. ऐसे में उनके दौरे पर ही इस बारे में बात की जा सकती है.
भारत में नरेंद्र मोदी सरकार की अग्निपथ योजना के तहत युवाओं को सेना में सिर्फ चार साल के लिए नौकरी पर रखा जाएगा. जिसके बाद उनमें से कुछ सैनिकों को अलग-अलग फोर्सेज में नौकरी दे दी जाएगा. जिन्हें नौकरी नहीं मिलेगी, उन्हें चार साल बाद अपना समय पूरा करने के बाद अपने घर लौट जाना होगा.
हालांकि, सेना की ओर से सभी अग्निवीरों को सरकार की ओर से सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा, जिसके आधार पर उन्हें आगे किसी दूसरी नौकरी को पाने के लिए थोड़ी राहत मिलेगी.
भारत में जब योजना आई तो काफी राज्यों में युवाओं ने इसका बीजेपी के इस फैसले का विरोध जताया. बिहार में योजना का विरोध काफी हिंसक भी हो गया, जहां डिप्टी सीएम के घर पर भी आक्रोशित युवाओं ने तोड़फोड़ कर डाली. इसी तरह यूपी, राजस्थान के कुछ इलाकों में भी इसके खिलाफ युवाओं ने प्रदर्शन किया था.
नरेंद्र मोदी सरकार की अग्निपथ योजना के तहत इस साल होने वाली भर्ती के लिए 46 हजार अग्निवीरों को नौकरी मिलेगी. जिनमें नेपाली युवाओं की संख्या करीब 1300 रहेगी. पिछले कुछ सालों में यह सबसे कम है.
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