अग्निपथ योजना: विरोध में 6 राज्यों के युवाओं ने जमकर मचाया उत्पात
दिल्ली। केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ उत्तर भारत में युवाओं का विरोध बढ़ता जा रहा है. गुरुवार को बिहार के साथ-साथ मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के युवाओं भी अब 'अग्निपथ' पर चल पड़े हैं. सड़कों पर उतर आए और जमकर उत्पात मचाया. इस योजना को लेकर बिहार में सबसे ज्यादा गुस्सा देखने को मिल रहा है. यहां युवाओं ने आगजनी और पत्थरबाजी की. छपरा और कैमूल में ट्रेनों में जमकर तोड़फोड़ की और कुछ डिब्बों में आग लगा दी. वहीं उनके इस विरोध को विपक्ष के साथ-साथ उनकी पार्टी और सहयोगी दलों का साथ मिलने लगा है. बीजेपी के वरुण गांधी के साथ-साथ राहुल गांधी, ओवैसी, अमरिंदर सिंह ने भी इस योजना को लेकर सवाल खड़े किए हैं.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के सहयोगी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अग्निपथ योजना पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया. सेना में कप्तान रहे अमरिंदर सिंह ने कहा कि यह लंबे समय से मौजूद रेजिमेंट के विशिष्ट लोकाचार को कमजोर करेगा. साथ ही उन्होंने आश्चर्य जताया कि सरकार को भर्ती नीति में इस तरह के मौलिक बदलाव करने की आवश्यकता क्यों पड़ी, जबकि इतने सालों से देश के लिए बेहतर तरीके से काम कर रही है.
'अग्निपथ' योजना के खिलाफ बीजेपी में भी आवाजें उठनें लगी हैं. सांसद वरुण गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखा है. इसमें कहा गया है कि 'अग्निपथ' योजना को लेकर देश के युवाओं के मन में कई सवाल हैं. युवाओं को असमंजस की स्थिति से बाहर निकालने के लिए सरकार अतिशीघ्र योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ करे. जिससे देश की युवा ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग सही दिशा में हो सके.
बिहार के ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार से इस योजना पर पुनर्विचार करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस योजना को लेकर विचार करना चाहिए. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि केंद्र को छात्रों से बात करनी चाहिए, ताकि मामले को शांत किया जा सके.
ललन सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि अग्निपथ नीति को लेकर युवाओं और नौजवानों के समाने उनके भविष्य खतरा मंडरा रहा है. उन्होंने कहा कि 4 साल के बाद जब उन्हें आर्मी से रिटायर कर दिया जाएगा इसके बाद वे बेरोजगार हो जाएंगे. केंद्र बिना देरी के इस नीति पर पुनर्विचार करें.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि न कोई रैंक, न कोई पेंशन न 2 साल से कोई direct भर्ती न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य न सरकार का सेना के प्रति सम्मान देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री. वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने ट्वीट कर कहा कि सरकार की 'अग्निपथ' योजना का पूरे देश में व्यापक विरोध हो रहा है. हम अपने युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते और न ही हम अपने सशस्त्र बलों की कार्यक्षमता और प्रभावशीलता को जोखिम में डाल सकते हैं.
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि आपकी 'तपस्या' में फिर से कमी रह गई. टीवी पर वापस आइए और इस TOD तोड़ भर्ती स्कीम को जल्दी वापस लीजिये. देश की अर्थव्यवस्था, सामाजिक सद्भाव और कृषि व्यवस्था को बर्बाद करने के बाद अब कम से कम फौज पर रहम कीजिए. इससे पहले उन्होंने एक वीडियो पीएम मोदी को टैग करते हुए लिखा कि इन्हें कपड़ों से ना पहचानिए, ना ही गोली और बुलडोजर चलाइए. अपना गलत फैसला वापस लीजिए, देश की 66% आबादी युवाओं की है. बात को समझिए.