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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
नई दिल्ली: केंद्र की विवादित अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) की आड़ में दिल्ली में फिर दंगा कराने की साजिश की आशंका जताई जा रही है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजूरी इलाके में शुक्रवार को वजीराबाद रोड पर कुछ लोगों ने अग्निपथ के विरोध में बसों को निशाना बनाने का प्रयास किया। हालांकि, पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित कर लिया।
दिल्ली पुलिस ने अफवाह फैलाने वाले लोगों को आगाह करते हुए बताया कि उपद्रवियों के खिलाफ दंगा करने के लिए खजूरी खास थाने में आईपीसी की धारा 147,148,149,427 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है और आगे की जांच जारी है।
दिल्ली पुलिस ने आज ट्वीट कर कहा, ''भजनपुरा और खजूरी के बारे में कुछ असामाजिक तत्व शांतिभंग करने के इरादे से अफवाह फैला रहे हैं। हमारी आप से अपील है कि अफवाहों पर ध्यान न दें। दिल्ली पुलिस अफवाह फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई करती है।''
अग्निपथ योजना के खिलाफ वामपंथी संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) समेत कई छात्र समूहों के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को दिल्ली में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया और इस योजना को विनाशकारी करार दिया। आइसा ने कहा कि यह योजना सशस्त्र बलों में स्थायी नौकरियों को नष्ट करने के अलावा और कुछ नहीं है। प्रदर्शनकारियों ने अग्निपथ वापस लो, तानाशाही नहीं चलेगी के नारे लगाए। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां पकड़ी थीं, जिन पर लिखा था कि सेना में सभी रिक्त पदों को स्थायी आधार पर तुरंत भरो और अग्निपथ योजना वापस लो। आइसा और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) दोनों ने आरोप लगाया कि उनके कई सदस्यों को बेरहमी से हिरासत में ले लिया गया।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, 17-18 लोग आईटीओ में विरोध प्रदर्शन करने के लिए जमा हुए थे। उन्हें हिरासत में लिया गया और तुरंत वहां से हटा दिया गया। अग्निपथ योजना के विरोध प्रदर्शन के कारण दिल्ली के कुछ मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार शुक्रवार को बंद कर दिए गए थे।
थल सेना, नौसेना और वायु सेना में संविदा के आधार पर चार साल की अवधि के लिए सैनिकों की भर्ती के लिए केंद्र की नई योजना अग्निपथ के खिलाफ बुधवार से कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध के बाद एक बयान में आइसा ने कहा कि अग्निपथ योजना सेना में स्थायी नौकरियों को नष्ट करने और सेना के जवानों के बड़े पैमाने पर हताहत होने के अलावा और कुछ नहीं है।
आइसा ने कहा कि मोदी सरकार ने हर क्षेत्र में अनुबंध और संविदा लागू कर सम्मानजनक रोजगार के सभी अवसरों को समाप्त कर दिया है।
एसएफआई की दिल्ली इकाई ने कहा कि वह अग्निपथ योजना के खिलाफ अखिल भारतीय आह्वान में शामिल हुए हैं। एसएफआई ने एक बयान में कहा कि अग्निपथ जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों को कमजोर करना है, वह घोर जन-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी है। पहले से ही स्थिर अर्थव्यवस्था में जहां बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है, केंद्र सरकार की यह पहल इस देश के युवाओं के लिए विकट स्थिति पैदा करेगी।
जानकारी के अनुसार, अग्निपथ योजना के खिलाफ आइसा के प्रदर्शन के मद्देनजर दिल्ली के कुछ मेट्रो स्टेशनों के प्रवेश और निकास द्वार बंद कर दिए गए थे। दिल्ली मेट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए यात्रियों को सुरक्षा कारणों से स्टेशनों के द्वार बंद होने के बारे में जानकारी दी। आइसा के सदस्यों ने अग्निपथ योजना के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ पुलिस के रवैये के खिलाफ भी प्रदर्शन किया।
डीएमआरसी ने ट्वीट कर जानकारी दी कि सुरक्षा कारणों के चलते शुरुआत में आईटीओ मेट्रो स्टेशन और ढांसा बस स्टैंड मेट्रो स्टेशन के कुछ दरवाजे बंद किए गए। बाद में ढांसा बस स्टैंड के सभी द्वार कुछ देर के लिए बंद कर दिए गए। इससे पहले, डीएमआरसी ने दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर ट्वीट किया था कि आईटीओ मेट्रो स्टेशन के सभी द्वार बंद हैं। डीएमआरसी ने कहा कि दिल्ली गेट और जामा मस्जिद सहित कुछ अन्य मेट्रो स्टेशन के प्रवेश एवं निकास द्वार भी कुछ समय के लिए बंद किए गए हैं।
सरकार ने मंगलवार को अग्निपथ योजना की घोषणा की थी। सरकार ने कहा था कि साढ़े 17 से 21 वर्ष के युवाओं को चार साल के लिए थल सेना, वायु सेना और नौसेना में भर्ती किया जाएगा और चार साल के बाद उनमें से 25 प्रतिशत को नियमित सेवाएं देने का अवसर दिया जाएगा।
गुरुवार को सरकार ने योजना के लिए ऊपरी आयु सीमा को 2022 के लिए 21 से बढ़ाकर 23 वर्ष करने की घोषणा की, लेकिन योजना को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और विरोधियों के बीच संघर्ष के बाद 24 फरवरी 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, घोंडा, चांदबाग, शिव विहार, भजनपुरा, यमुना विहार इलाकों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इस हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा था। उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पम्प को फूंक दिया था और स्थानीय लोगों तथा पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था। इस दौरान राजस्थान के सीकर के रहने वाले दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की 24 फरवरी को गोकुलपुरी में हुई हिंसा के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी और डीसीपी-एसीपी सहित कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल गए थे। साथ ही आईबी अफसर अंकित शर्मा की हत्या करने के बाद उनकी लाश नाले में फेंक दी गई थी।
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