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अग्निपथ योजना: अग्निपथ पर सरकार को नहीं पड़ी 'बूस्टर डोज' की जरूरत, 'माफीवीर' बनने से बचा गया किसान आंदोलन से मिला यह सबक
Kajal Dubey
6 July 2022 5:56 PM GMT
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18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस पार्टी सहित कुछ विपक्षी दल, सेना भर्ती के लिए शुरु की गई 'अग्निपथ' योजना का मुद्दा उठा सकते हैं। ये दल पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड व राजस्थान सहित कई दूसरे राज्यों में अग्निपथ को लेकर आवाज उठा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि किसान आंदोलन पर कदम पीछे रख चुकी मोदी सरकार ने उससे बड़ा सबक लिया है। यही वजह रही कि अब अग्निपथ के मामले में केंद्र सरकार 'माफीवीर' बनने से बच गई है। 'अग्निपथ' पर मोदी सरकार को 'बूस्टर डोज' की जरूरत भी नहीं पड़ी। सरकार ने युवाओं को यह स्कीम समझाने के लिए सेना के तीनों चीफ एवं दूसरे सीनियर अफसरों को मैदान में उतार दिया। इसके अलावा मोदी कैबिनेट के सभी सदस्यों और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस योजना का बखान करने के लिए मैदान में कूद पड़े। कई अवसरों पर केंद्र सरकार के लिए संकटमोचक बने 'राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार' अजीत डोभाल ने भी 'अग्निपथ' स्कीम को लेकर मीडिया को साक्षात्कार दे दिया।
सरकार ने पूरा दमखम लगाया
तीनों सेनाओं ने अपने तरीके से 'अग्निपथ' स्कीम का खूब प्रचार-प्रसार किया है। भारतीय वायु सेना की बात करें तो अभी तक 'अग्निपथ' स्कीम के तहत नौकरी लेने वालों के रिकॉर्ड आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। मंगलवार तक 7,49,899 युवाओं ने ऑनलाइन तरीके से अपना आवेदन जमा करा दिया है। भारतीय वायु सेना ने अपने ट्वीटर पर यह जानकारी देते हुए कहा है कि ये अभी तक मिले आवेदकों की सर्वाधिक संख्या है। इससे पहले 6,31,528 आवेदन प्राप्त हुए थे। 29 जून तक 2,01,648 अग्निवीरों ने आवेदन जमा कराया था। भारतीय सेना में अग्निवीर के रुप में शामिल होने के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पांच जुलाई से शुरू हुई है। भारतीय नौसेना भी जल्द ही अग्निपथ स्कीम के तहत 'अग्निवीर' भर्ती करने जा रही है।
इससे पहले कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी, सेना भर्ती की 'अग्निपथ' योजना को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोल चुकी हैं। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कहा था, मैंने पहले भी कहा था कि प्रधानमंत्री को काले कृषि कानून वापस लेने पड़ेंगे। ठीक उसी तरह उन्हें 'माफीवीर' बनकर देश के युवाओं की बात माननी पड़ेगी। 'अग्निपथ' को वापस लेना ही पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, 'अग्निपथ' योजना पूरी तरह से दिशाहीन है। कई पूर्व सैनिक व रक्षा विशेषज्ञों ने भी इस योजना पर सवाल उठाए हैं। प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि केंद्र सरकार को आर्मी में भर्ती के लिए तैयारी करने वाले युवाओं के दर्द को समझना होगा।
दूसरी ओर भाजपा, किसान आंदोलन में 'बैकफुट' का दर्द महसूस कर चुकी है। इस बार वह ऐसा दोहराव नहीं करना चाहती थी। यही वजह रही कि सरकार के पक्ष में तीनों सेनाओं के प्रमुखों के अलावा एनएसए डोभाल भी आ खड़े हुए। डेढ़-दो सप्ताह तक तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों ने 'अग्निपथ' योजना को लेकर फैलाए जा रहे भ्रम का करारा जवाब दिया।
विपक्ष नहीं हो पाया एकजुट
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक रशीद किदवई कहते हैं, इस बार कांग्रेस पार्टी और दूसरे विपक्षी दल चूक गए हैं। 'अग्निपथ' योजना को लेकर पहले तीन-चार दिन तक युवाओं में गुस्सा देखा गया। उसके बाद यह मुद्दा पक्ष-विपक्ष की बहस में उलझते हुए भाजपा को फायदा पहुंचा गया। केंद्र सरकार ने जब प्रदर्शन कर रहे युवाओं को चेताया कि उपद्रव करने में उनका नाम आया, तो वे दूसरी किसी भी भर्ती के लिए अयोग्य हो जाएंगे। इसके बाद युवाओं ने प्रदर्शन से किनारा कर लिया। युवाओं में एयरफोर्स भर्ती 'अग्निवीर' के लिए आवेदन जमा कराने की होड़ मच गई। रिकॉर्ड आवेदन मिले हैं। बतौर रशीद किदवई, यहां पर दो बातें देखने वाली हैं। पहली ये कि इस मुद्दे पर विपक्ष एक साथ नहीं आ सका। कांग्रेस पार्टी ने 'अग्निपथ' के खिलाफ देश में सत्याग्रह शुरू कर दिया, लेकिन उसमें विपक्ष कहीं नहीं दिखा। कई स्थानों पर 'अग्निपथ' के खिलाफ प्रदर्शन, महज एक औपचारिकता बन कर रह गया। वजह, इसमें वे युवा ही सामने नहीं आ रहे, जिन्हें सेना में भर्ती होना है।
विकल्प के बारे में नहीं बता पाई कांग्रेस
दूसरी बात यह है कि कांग्रेस पार्टी ने 'अग्निपथ' का विरोध तो शुरू कर दिया, लेकिन यह नहीं बताया कि इसका विकल्प क्या है। जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां रोजगार की स्थिति बेहतर नहीं है। कांग्रेस पार्टी को इसका ठोस विकल्प लेकर विरोध के लिए उतरना चाहिए था। केवल, राजनीतिक विरोध हर जगह पर काम नहीं देता। कांग्रेस पार्टी को दूसरे विपक्षी दलों को विश्वास में लेना चाहिए था। किसान आंदोलन और सेना भर्ती को कांग्रेस पार्टी एक जैसा समझ बैठी। उस आंदोलन में किसान साथ थे, तो हर तबके और राजनीतिक दल का समर्थन भी उन्हें हासिल था। अब वैसा कुछ नहीं हुआ। सरकार की सख्ती और बेरोजगारी का दर्द, इन बातों ने युवाओं को अग्निवीर बनने के लिए तैयार कर दिया। जब केंद्र सरकार, अग्निवीरों को चार साल बाद के उनके करियर को लेकर आश्वस्त कर रही थी, तो कांग्रेस पार्टी या विपक्ष, उसका मुकाबला नहीं कर सका। एनएसए अजीत डोभाल की बातों पर न केवल युवा, बल्कि दूसरे लोग भी विश्वास करते हैं। सरकार ने डोभाल को मैदान में उतारा। उसके बाद युवाओं ने भी कदम पीछे खींच लिए। उन्होंने अपने साक्षात्कार में इस योजना को सेना के लिए जरूरी बताया था।
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