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26 मई को कृषि कानूनों के विरोध में 'काला दिवस' मनाएंगे आंदोलनकारी किसान

Deepa Sahu
23 May 2021 12:16 PM GMT
26 मई को कृषि कानूनों के विरोध में काला दिवस मनाएंगे आंदोलनकारी किसान
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देश में चल रहे कोरोना संकट (Corona Pandemic) के बीच जहां एकजुटता की जरूरत है,

देश में चल रहे कोरोना संकट (Corona Pandemic) के बीच जहां एकजुटता की जरूरत है, वहां किसान संगठन अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं, साथ ही अब उन्होंने 26 मई को अपने आंदोलन के छह महीने पूरे होने को लेकर, इस दिन को 'काला दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की है. इसे लेकर राज्यव्यापी लॉकडाउन (Lockdown) के बीच भी हजारों किसान आज रविवार को हरियाणा के करनाल से दिल्ली के लिए रवाना हुए, जहां वे 26 मई को 'काला दिवस' के रूप में मनाने की योजना बना रहे हैं. इसी के साथ, पंजाब के संगरूर से भी कई लोगों के दिल्ली के लिए रवाना होने की खबरें सामने आई हैं.

भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में किसान बस्तदा टोल प्लाजा से सैकड़ों वाहनों में सवार होकर दिल्ली के पास सिंघु बॉर्डर पॉइंट के लिए रवाना हुए. किसान नेता ने कहा कि 26 मई को किसानों को दिल्ली बार्डर पर धरने पर बैठे हुए पूरे छह महीने हो जाएंगे और इस दिन को किसान काला दिवस के रूप में मनाएंगे. चढूनी ने कहा कि 'किसान करनाल से रवाना हो चुके हैं ताकि दिल्ली के अलग-अलग जिलों में आंदोलन का अच्छी तरह प्रतिनिधित्व किया जा सके'.
राज्य सरकार ने लगाया ये आरोप
उन्होंने कहा, "वे सभी यहां पहुंचने के बाद एक हफ्ते तक लंगर सेवा भी करेंगे. दिल्ली के पास टिकरी बॉर्डर पॉइंट पर प्रदर्शन में शामिल होने के लिए हजारों लोग पंजाब के संगरूर में खनौरी बॉर्डर से निकल चुके हैं. मालूम हो कि हरियाणा में हाल ही में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी देखी गई है, जिसके मद्देनजर राज्य में लॉकडाउन लागू किया गया है. इसी के साथ, राज्य सरकार ने ग्रामीण इलाकों में संक्रमण के मामलों में वृद्धि के लिए हरियाणा की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को जिम्मेदार ठहराया है.
BKU नेता ने दिया ये जवाब
इस आरोप पर BKU नेता चढूनी ने कहा, "गांवों में कोरोना फैलने के लिए सरकार किसानों के सिर दोष मढ़ रही हैं, जबकि सरकार सेहत सुविधाएं उपलब्ध करवाने में नाकाम हुई है." उन्होंने कहा, "सरकार केवल अपनी अयोग्यता को छिपाने के लिए किसानों को दोष दे रही है, जबकि उसने एम्बुलेंस, बिस्तर या अस्पताल की व्यवस्था नहीं की. हमारी अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन सरकार ने ऐसे कार्यक्रम क्यों आयोजित किए, जहां भीड़ इकट्ठा होती है?" इसी के साथ, उन्होंने किसानों के रुख को दोहराया और कहा कि वे फिर से सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं.
सरकार से की फिर बातचीत की अपील
इससे पहले, शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बातचीत फिर से शुरू करने का आग्रह किया था. मालूम हो कि पिछले कई महीनों से हजारों किसान पिछले साल बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. वे लगातार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, साथ ही फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए एक नया कानून भी बनवाना चाहते हैं. उन्होंने देश में चल रहे कोविड संकट के बावजूद पीछे हटने से इनकार करते हुए कुंडली और सिंघु जैसे अलग-अलग बॉर्डर्स पॉइंट्स पर दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाला हुआ है.
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