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कृषि कानून के खिलाफ: कल शिरोमणि अकाली दल मनाएगा 'काला दिन', दिल्ली में निकालेंगे मार्च
Deepa Sahu
16 Sep 2021 5:29 PM GMT
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केंद्र के तीन कृषि कानूनों के लागू होने के अधिनियम के एक साल पूरे होने पर शिरोमणि अकाली दल शुक्रवार को काला दिवस मनाएगा।
नई दिल्ली, केंद्र के तीन कृषि कानूनों के लागू होने के अधिनियम के एक साल पूरे होने पर शिरोमणि अकाली दल शुक्रवार (17 सितंबर) को काला दिवस मनाएगा। पार्टी नेता और कार्यकर्ता कल कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली में गुरुद्वारा रकाबगंज से पार्लियामेंट बिल्डिंग तक मार्च निकालेंगे। इस मार्च को 'ब्लैक फ्राइडे प्रोटेस्ट मार्च' नाम दिया गया है। मार्च में पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और पूर्व मंत्री हरसिमरत कौर बादल भी शमिल होंगी।
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने इस मार्च के लिए अकाली दल को इजाजत नहीं दी है लेकिन पार्टी की ओर से कह दिया गया है कि मार्च जरूर निकाला जाएगा। पार्टी ने किसानों को मार्च में शामिल होने का आह्वान किया है। वहीं पंजाब से भी पार्टी कार्यकर्ता बड़ी संख्या में दिल्ली पहुंच रहे हैं।
अकाली दल ने 11 सितंबर को पार्टी की एक बैठक में 17 सितंबर को काला दिवस मनाने का फैसला लिया था। पार्टी नेताओं ने बताया है कि कल सुबह विरोध मार्च शुरू होने से पहले तीन नए कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए गुरुद्वारे में अरदास की जाएगी। इसके बाद सभी लोग संसद की ओर मार्च करेंगे। पार्टी ने कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को भी पूर्ण समर्थन की बात दोहराई है।
कृषि कानूनों पर एनडीए से अलग हुआ है अकाली दल
2019 का चुनाव अकाली दल और भाजपा ने मिलकर लड़ा था। हरसिमरत कौर मोदी सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। बीते साल कृषि कानूनों को लेकर अकाली दल ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया था और हरसिमरत कौर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इससे पहले भी कई मौकों पर अकाली दल कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर चुका है।
क्या है कृषि कानूनों को लेकर विवाद
बीते साल जून में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून, 2020 से ही लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। किसानों का आंदोलन हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लगातार चल रहा है। वहीं सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने की बात कहते हुए 26 नवंबर, 2020 से देशभर के किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर भी लगातार दिन-रात धरना दे रहे हैं। दिल्ली के बॉर्डरों पर किसानों के धरने को करीब 10 महीने हो गए हैं। कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग अकाली दल समेत तमाम विपक्ष दल भी सरकार से कर रहे हैं।
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