तनवीर जाफ़री
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में गत 3 मई से कुकी और मैतेई समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसा अभी भी जारी है। प्राप्त सूचनाओं के अनुसार अब तक प्रदेश में हिंसा की घटनाओं में अब तक 200 से अधिक जानें गई हैं, जबकि 50,000 से अधिक लोगों के विस्थापित होने की ख़बरें हैं। कुछ समय पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ्रांस दौरे के बीच ही मणिपुर हिंसा का मुद्दा यूरोपीय संसद में भी उठ चुका है। यूरोपीय संसद ने मणिपुर हिंसा को लेकर बहस की थी तथा भारत की कड़ी आलोचना की थी। हालांकि भारत ने इसे अंदरूनी मामला बताकर यूरोपीय संसद की आलोचना ख़ारिज कर दी थी। मणिपुर हिंसा ने पूरे देश में उस समय और भी आक्रोश पैदा किया जबकि गत 19 जुलाई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं को मेतीय समुदाय के युवकों की भीड़ द्वारा निर्वसत्र कर घुमाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया। ख़बर यह भी है कि इन महिलाओं को निर्वसत्र घुमाने से पूर्व इनके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया था। हालाँकि यह शर्मनाक अमानवीय घटना 4 मई की बताई जा रही है। परन्तु राज्य में इंटरनेट पर लगे प्रतिबंध के चलते यह वीडियो देर से सार्वजनिक हुई। मणिपुर की घटना कितनी भयावह व अमानवीय है इसके लिये इसे किसी राजनैतिक बयानबाज़ी या विपक्ष के चश्मे या उस नज़रिये से देखने की ज़रुरत ही नहीं है। बल्कि इस निरंतर हो रही हिंसक घटना से प्रभावित होकर भाजपा द्वारा ही मणिपुर में नियुक्त राज्यपाल अनुसुइया उइके ने क्या कहा यह समझना भी ज़रूरी है। राज्यपाल अनुसुइया उइके ने गत दिनों एक टी वी चैनल से बातचीत में कहा कि -'मणिपुर में लगातार हो रही हिंसा से लोग डरे हुए हैं, लोग मर रहे हैं, ऐसी हिंसा मैंने अपनी ज़िन्दिगी में कभी नहीं देखी। यहां दो समुदायों में काफ़ी समस्या है जब तक इन मसलों को सुलझाया नहीं जाता तब तक कोई हल नहीं निकलेगा। आपस में जब तक बातचीत नहीं होती तब तक यहां शांति बहाल होना मुश्किल लगता है। मणिपुर के राज्यपाल ने कहा कि यहां के लोगों के दुख और दर्द को देखती हूं तो मुझे काफ़ी तकलीफ़ होती। लोग मुझसे पूछते हैं कि कब शांति बहाल होगी कई महीने से घर के घर जल रहे हैं और जल गए हैं कई लोग मारे गए हैं। आख़िर यह सब कब तक चलता रहेगा?
मणिपुर की घटना का प्रभाव अब भाजपा में ही राज्यपाल के बाद विरोध स्वरों के रूप में अन्य राज्यों में भी नज़र आने लगा है। मणिपुर के पड़ोसी राज्य मिज़ोरम में भाजपा के उपाध्यक्ष आर वनरामचुआंगा ने भाजपा की मिज़ोरम इकाई के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। उन्होंने इस हिंसा को लेकर मणिपुर और केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। कहा जा रहा है कि आर वनरामचुआंगा के इस्तीफ़े का कारण मणिपुर में चर्चों पर लगातार हो रहा हमला है। अपने त्याग पत्र में, वनरामचुआंगा ने यह कहा भी है कि -' मणिपुर और केंद्र सरकार ने पड़ोसी राज्य मणिपुर में चर्चों के विध्वंस का 'समर्थन' किया। उन्होंने त्यागपत्र मे लिखा, ईसाइयों और ईसाई धर्म के प्रति आपराधिक अन्याय के इस कृत्य के विरोध में, मैं तत्काल प्रभाव से भाजपा मिजोरम प्रदेश के राज्य उपाध्यक्ष के रूप में अपना इस्तीफ़ा सौंपता हूं। उन्होंने यह भी दावा किया कि '3 मई से राज्य में जातीय संघर्ष के दौरान पूरे मणिपुर में 357 चर्चों को मैतेई उग्रवादियों ने जलाकर राख कर दिया'।
इसी तरह बिहार में भी भाजपा को एक बड़ा झटका देते हुये भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद शर्मा ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। शर्मा ने पार्टी के अपने सभी पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है। इस बात की जानकारी एक पोस्टर के माध्यम से देते हुये विनोद शर्मा ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। मणिपुर में हुई महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार को लेकर उन्होंने इसका ज़िम्मेदार केंद्र व राज्य सरकार को ठहराया। पटना के प्रमुख चौराहों पर लगवाये गये उनके इस्तीफ़े से संबंधित तमाम बोर्ड व पोस्टर पर लिखा है - भारत की बहन, बेटियां करे चीत्कार-शर्म करो , बेटी बचाओ का नारा देने वाली मोदी सरकार। मान्यवर जे पी नड्डा जी,राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा, मान्यवर, मणिपुर में बेटियों को पूर्ण नग्न कर भीड़ में सड़कों पर घुमाए जाने के कारण पूरे विश्व में भारत शर्मसार हुआ है। जिसके लिए मणिपुर के भाजपा के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पूर्ण ज़िम्मेदार हैं और इसका बचाव करने वाले प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी। ऐसे नेतृत्व में काम करते हुए मैं आत्मग्लानि एवं कलंकित महसूस कर रहा हूं। इसलिए तत्काल पार्टी के पदों और पार्टी से इस्तीफ़ा देता हूं'
उपरोक्त बयानों व आरोपों में से कोई भी बात न तो कांग्रेस नेताओं द्वारा की गयी न ही विपक्ष या नव गठित I. N. D. I. A. द्वारा। फिर आख़िर सत्तारूढ़ भाजपा और उसके नेता मणिपुर की घटना का राजनैतिक लाभ उठाने का आरोप विपक्ष पर क्यों और कैसे लगा रहे हैं ? भाजपा के कितने ही मंत्रियों सांसदों कार्यालयों व नेताओं के घर मणिपुर हिंसा में फूँक दिये गये ? और संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब संसद पहुंचे तो उन्होंने कहा, ''मणिपुर की घटना से मेरा हृदय दुख से भरा है. ये घटना शर्मसार करने वाली है. पाप करने वाले कितने हैं, कौन हैं वो अपनी जगह है, पर बेइज्जती पूरे देश की हो रही है. 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है. मैं मुख्यमंत्रियों से अपील करता हूं कि वो मां-बहनों की रक्षा के लिए कदम उठाएं.'' राजस्थान, छत्तीसगढ़, मणिपुर का ज़िक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ''घटना चाहे किसी भी राज्य की हो, सरकार चाहे किसी की भी हो, नारी के सम्मान के लिए राजनीति से ऊपर उठकर काम करें।'' प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद तो देश में और भी उबाल आ गया। प्रधानमंत्री का इशारा पाकर जहाँ भाजपा के स्मृति ईरानी जैसे अनेक नेता मणिपुर की घटना के साथ राजस्थान व छत्तीसगढ़ की तुलना करने लगे वहीं विपक्ष ने इसे पूर्णतः राजनैतिक बयान बताया। विपक्ष का कहना है कि राजस्थान व छत्तीसगढ़ की किसी भी घटना से मणिपुर की तुलना नहीं की जा सकती। I. N. D. I. A. ने भी अपना एक 20 सदस्यीय दल मणिपुर भेजा।
दरअसल प्रधानमंत्री बनने से पहले गोरखपुर में एक चुनावी रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 'उत्तर प्रदेश को गुजरात बनाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए'। और मोदी उसी गुजरात का विज्ञापन विकास मॉडल के रूप में भी करते थे जोकि गोधरा काण्ड और उसके बाद भड़के अल्पसंख्यक विरोधी दंगों के बाद नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारक बना। पिछले दिनों प्रसिद्ध पत्रकार कारन थापर ने मणिपुर के दक्षिणपंथी मैतेई नेता प्रमोद सिंह से बातचीत की जिसमें उन्होंने साफ़ तौर से यह कहा कि -'कुकी–जो आदिवासी समुदाय है उसको पूरी तरह से ख़त्म कर देंगे, क्योंकि वे हमारा रास्ता रोकते हैं। उन्होंने साफ़ साफ़ कहा कि उन्हें सरकार और पुलिस का समर्थन हासिल है। और वे हमसे बच नहीं सकते। सवाल यह है कि मणिपुर में क्या हो रहा है और आगे क्या होने जा रहा है? शायद तभी विश्लेषक मणिपुर की हिंसक घटना की तुलना गुजरात दंगों की तरह करने व इसे सुनियोजित साज़िश बताने लगे हैं? तो क्या गुजरात के बाद अब मणिपुर बनेगा भाजपा का कथित 'विकास मॉडल'? संपर्क:- 98962-19228