भारत

काफी संघर्ष के बाद बदली किस्मत और बन गया IPS, वर्तमान में है DIG

Nilmani Pal
19 Sep 2023 11:10 AM GMT
काफी संघर्ष के बाद बदली किस्मत और बन गया IPS, वर्तमान में है DIG
x
पढ़े ये कहानी

बीते माह फिल्म 12वीं फेल का टीजर रिलीज हुआ है. बताया जा रहा है कि ये फिल्म एक आईपीएस अध‍िकारी मनोज कुमार शर्मा की लाइफ से भी प्रेरित है. फिल्म में एकाध और अफसरों के चर‍ित्र से भी प्रेरणा ली गई है. फिल्म में मुख्य किरदार अभ‍िनेता विक्रांत मैसी निभा रहे हैं. आइए जानते हैं कि IPS मनोज शर्मा कौन हैं और क्या है 12वीं फेल टर्म से उनका कनेक्शन.

सच कहा जाए तो महाराष्ट्र कैडर से IPS मनोज शर्मा की कहानी इस देश के लाखों युवाओं के लिए मिसाल है. हाल ही में उनके ही साथी अनुराग पाठक ने उन पर एक किताब लिखी. किताब का शीर्षक था ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं. किताब में मनोज शर्मा की जिंदगी का हर वो संघर्ष दर्ज है जो एक आम इंसान को तोड़ देता है. लेकिन मनोज शर्मा की जिंदगी ने अपनी गर्लफ्रेंड के एक वादे पर ऐसा यू टर्न लिया कि आईपीएस बन गए.

आपको बता दें कि मनोज शर्मा 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस हैं. जानकारी के मुताबिक फिलहाल वो सीआईएसएफ में डीआईजी हैं. उनकी बचपन की कहानी बेहद संघर्ष भरी है. उनका जन्म मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में हुआ था. पढ़ाई के दौरान ही वो नौवीं, दसवीं और 11वीं में थर्ड डिवीजन में पास हुए थे. बताते हैं कि वो भी 11वीं तक नकल करके पास किया. फिर 12वीं में भी इसलिए फेल हो गए क्योंकि नकल नहीं हो सकी. एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि हम लोगों ने तय करके रखा था कि 12वीं में नकल से पास हो जाएंगे. हमें पता था कि कहां गाइड रखनी है, कहां पर्ची छुपानी है. सोचा था कि 12वीं पास करके टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब कर लेंगे. जहां से जीवनयापन चल सके. लेकिन इलाके के एसडीएम ने स्कूल को टारगेट करके नकल नहीं करने दी. तभी मुझे लगा कि इतना बड़ा आदमी कौन है जो इतना पावरफुल है कि इसकी सब मान रहे हैं. तब मुझे लगा कि अब तो इतना ही पावरफुल बनना है.

वो आगे बताते हैं कि 12वीं में फेल होने के बाद रोजी रोटी के लिए मैं और मेरे भाई टेंपो चलाते थे. वहां एक दिन हमारा टेंपो पकड़ गया तो मैंने सोचा कि एसडीएम से कहकर छुड़ा सकते हैं. मैं उनसे गया तो टेम्पो छुड़वाने की बात करने था लेकिन ये कह ही नहीं पाया. बस उनसे सिर्फ ये ही पूछा कि आपने कैसे तैयारी की. मैंने उनसे ये भी नहीं कहा कि 12वीं में फेल हो गया हूं. तब मन और पक्का हुआ कि अब यही करूंगा. बस, कुछ ही दिन में अपने घर से थैला लेकर ग्वालियर आ गया. यहां पैसे और खर्च न होने के कारण मैं मंदिर के भिखारियों के पास सोता था. फिर ऐसा वक्त भी आया जब मेरे पास खाने तक को नहीं होता था. लेकिन किस्मत थी कि यहां लाइब्रेरियन कम चपरासी का काम मिल गया. मैं जब कवियों या विद्वानों की सभाएं होती थीं तो उनके लिए बिस्तर बिछाना और पानी पिलाने का काम करता था. यहां लाइब्रेरी में गोर्की और अब्राहम लिंकन को पढ़कर लगता था कि हम इनकी तरह क्यों नहीं बन सकते. यहां मैंने मुक्तिबोध जैसे कवि के बारे में जाना. फिर मैंने तैयारी करनी शुरू की. सोचा था कि एसडीएम ही बनना है. लेकिन धीरे धीरे तैयारी उच्च लेवल पर जाने लगी. वो कहते हैं कि लेकिन 12वीं फेल का ठप्पा मेरा पीछे नहीं छोड़ता था. यहां तक कि जिस लड़की से प्यार करता था, उससे भी दिल की बात नहीं कह पाता था क्योंकि लगता था कि कहीं वो कह न दे कि 12वीं फेल हो. इसलिए पढ़ाई शुरू कर दी.

वो किसी तरह संघर्ष करके दिल्ली तक आ गए. यहां आकर भी पैसे की जरूरत थी तो बड़े घरों में कुत्ते टहलाने का काम मिल गया. वहां 400 रुपये प्रति कुत्ता खर्च मिल जाता था. वो बताते हैं कि मेरे सर विकास दिव्यकीर्ति ने बिना फीस एडमिशन दे दिया. पहले अटेंप्ट में प्री निकाल दिया.लेकिन दूसरे, तीसरे अटेंप्ट में प्यार हो जाने के कारण प्री में ही नहीं हुआ. मैं जब चौथी बार में प्री निकाल पाया, फिर मेन्स देने गया तो उसमें 100 नंबर का टूरिज्म पर निबंध लिखना था, टेरेरिज्म पर निबंध लिख दिया. इसकी वजह थी कि अंग्रेजी में बहुत कमजोर था.

वो बताते हैं कि मैं जिस लड़की से प्यार करता था मैंने उससे कहा कि अगर तुम हां कर दो, मेरा साथ दो तो मैं दुनिया पलट सकता हूं, इस तरह मोहब्बत में जीत के बाद मैंने पढ़ाई शुरू कर दी और चौथे अटेम्प्ट में आईपीएस बन गया. मनोज शर्मा पर किताब लिखने वाले अनुराग पाठक ने एक इंटरव्यू में कहा है कि आज युवकों को इनकी कहानी जानना बहुत जरूरी है, क्योंकि आज के समय में जब बच्चे पास नहीं हो पाते तो संशय में चले जाते हैं. इसको लिखने के पीछे मुझे उन्हें प्रेरित करने का उद्देश्य रहा है. मनोज शर्मा कहते हैं दिल्ली में मुखर्जी नगर में युवा किस तरह तैयारी कर रहे हैं, उस माहौल में भी कई बार निराशा आ जाती है.


Next Story