शिवसेना सांसद संजय राउत ने भारत के विभाजन की तुलना अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति से की है। उन्होंने रविवार को कहा कि यह घटना देश की संप्रभुता तथा अस्तित्व की तबाही के दर्द की याद दिलाती है। पार्टी के मुखपत्र सामना में प्रकाशित अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोकटोक में राउत ने यह भी कहा कि अगर नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की बजाय पाकिस्तान के निर्माता जिन्ना को मारा होता तो विभाजन को शायद रोका जा सकता था और 14 अगस्त को 'विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने की जरूरत नहीं होती।
मराठी दैनिक के कार्यकारी संपादक राउत ने कहा, अफगानिस्तान में जो स्थिति है वह मुझे देश के अस्तित्व और संप्रभुता की तबाही की याद दिलाती है। राउत ने भारत के विभाजन की तुलना अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति से की और कहा कि अफगानिस्तान के सैनिक वहां से 'भाग गए।' उन्होंने कहा कि विभाजन के दर्द को तब तक नहीं भुलाया जा सकता जब तक अलग किया गया हिस्सा वापस नहीं लिया जाता। राउत ने कहा, अखंड भारत होना चाहिए ऐसा हम मानते हैं लेकिन यह संभव होगा यह नहीं लगता। लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अखंड हिंदुस्तान चाहते हैं तो उनका स्वागत है। उन्हें बताना होगा कि पाकिस्तान के 11 करोड़ मुसलमानों को लेकर उनका क्या योजना है।'