भारत
साइबर एवं अंतरिक्ष से संबंधित उभरते खतरों से निपटने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में प्रगति की आवश्यकता
jantaserishta.com
16 May 2023 5:16 AM GMT
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फाइल फोटो
नई दिल्ली (आईएएनएस)| अगर हमारे शत्रुओं के पास अधिक उन्नत प्रौद्योगिकी है तो यह हमारे लिए भविष्य में चिंता का एक कारण हो सकता है, सोमवार को यह महत्वपूर्ण बात देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कहना है कि साइबर एवं अंतरिक्ष से संबंधित उभरते खतरों से निपटने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी में प्रगति की आवश्यकता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा युद्धकलाके तरीके तेजी से विकसित हो रहे हैं। गैर - कानेटिक या संपर्करहित युद्धकला, जिसे आज दुनिया देख रही है, से निपटने के लिए पारंपरिक पद्धतियों के अतिरिक्त उन्नत प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति करने की आवश्यकता है।
राजनाथ सिंह ने 15 मई, 2023 को महाराष्ट्र के पुणे स्थित डीआईएटी के 12वें दीक्षांत समारोह के दौरान अनुसंधान संस्थानों को संबोधितकर रहे थे। उन्होंने कहा, बदलते समय के अनुरुप प्रौद्योगिकीय उन्नतिकी दिशा में तेजी से बढ़ने की तत्काल आवश्यकता है। यह उत्तरदायित्व हमारे संस्थानों का है। रक्षा सेक्टर कोई ठहरी हुई झील नहीं बल्कि एक बहती हुई नदी है। किसी नदी की ही तरह, हमें बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तथा रक्षा अनुसंधान के बीच गहरे संपर्क को रेखांकित करते हुए, राजनाथ सिंह ने डीआईएटी जैसे संस्थानों से ऐसे नए नवोन्मेषणों को प्रस्तुत करने की अपील की जो न केवल रक्षा क्षेत्र के लिए उपयोगी हों, बल्कि नागरिकों के लिए भी समान रूप से प्रभावी हों।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता अर्जित करने के सरकार के विजन के बारे में विस्तार से बताते हुए, रक्षा मंत्री ने इसे सबसे महत्वपूर्ण घटक बताया जो देश की सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक है। बहरहाल, उन्होंने स्पष्ट किया कि आत्मनिर्भरता का अर्थ अलगाव नहीं है। उन्होंने कहा कि आज विश्व एक वैश्विक गांव बन गया है और अलगाव संभव नहीं है। आत्म निर्भरता का लक्ष्य मित्र देशों की सुरक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए हमारी अपनी क्षमता के साथ आवश्यक उपकरण मंचों के निर्माण के द्वारा सशस्त्र बलों की आवश्यकता की पूर्ति करना है।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा कि रक्षा उपकरणों के आयात पर निर्भरता भारत की रणनीतिक स्वायतत्ता के लिए एक बाधा बन सकती है।यही मुख्य वजह है कि सरकार इस सेक्टर में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज भारत राइफल, ब्रह्मोस मिसाइलों, लाइट कम्बैट एयरक्राफ्ट तथा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियरसन का खुद से विनिर्माण कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि रक्षा निर्यात हाल के वर्षों में कई गुना बढ़ा है और यह 2014 के 900 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़ कर वित्त वर्ष 2022-23 में लगभग 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
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